भारतीय उद्योग परिसंघ का कारोबारी विश्वास सूचकांक (CII-Business Confidence Index) वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सुधरकर 66.1 हो गया है, जो इसके पहले की तिमाही में 64 था। घरेलू मांग तेज रहने से भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होने और तेल व जिंसों के दाम में कमी के कारण भरोसा बढ़ा है और इससे कारोबारी धारणा सुधरी है।
इस सूचकांक को तैयार करने में छोटी से बड़ी 180 फर्मों से मई-जून 2023 के दौरान राय ली गई थी। बहरहाल यह सूचकांक (Business Confidence Index) पिछले साल की समान तिमाही के 66.9 से नीचे है।
सूचकांक के आंकड़ों से शेष आंकड़ों जैसे वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह, विमान व रेल यात्रियों की आवाजाही व अन्य की पुष्टि होती है, जो पहली तिमाही में आए हैं। इस सर्वे में प्रतिक्रिया देने वालों ने कहा कि सरकार द्वारा तेजी से पूंजीगत व्यय (capex) करने, तेज घरेलू मांग और मजबूत वित्तीय व्यवस्था चालू वित्त वर्ष में वृद्धि के शीर्ष 3 चालक होंगे।
सर्वे के मुताबिक 63 प्रतिशत लोगों ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 24 में वृद्धि दर 6 से 7 प्रतिशत के बीच रहेगी, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य बहुपक्षीय एजेंसियों के 6.5 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान के अनुरूप है।
सर्वे में यह भी पाया गया है कि 62 प्रतिशत लोगों ने सुस्त वैश्विक वृद्धि और और भू राजनीतिक उथल पुथल को चालू वित्त वर्ष के दौरान चिंता की प्रमुख वजह बताई है। सर्वे में शामिल 65 प्रतिशत कंपनियों का कहना था कि चालू वित्त वर्ष में निजी निवेश की रफ्तार कायम रहेगी।
सर्वे के अनुसार, रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी को रोकने से भारतीय उद्योग जगत के लिए पूंजी की लागत में कमी आने की उम्मीद है, जिससे नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा और निजी पूंजीगत व्यय बढ़ेगा।
सर्वे में शामिल आधी से ज्यादा यानी 52 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि अप्रैल-जून में क्षमता इस्तेमाल 75 से 100 प्रतिशत के बीच रहेगा। इससे पिछली तिमाही में यह 45 प्रतिशत था।
CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में CII के कारोबारी विश्वास सूचकांक में जो सकारात्मक रुख दिखाई दिया है, वह उत्साहजनक है। मांग में सुधार से कई क्षेत्रों में क्षमता इस्तेमाल बढ़ा है जिससे इस साल निजी निवेश को और रफ्तार मिलेगी।’