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2026 में सोना-चांदी का हाल: रैली जारी या कीमतों में हल्की रुकावट?

2026 में चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, लेकिन निवेश में उतार-चढ़ाव और जोखिम बने रहेंगे।

Last Updated- December 30, 2025 | 11:27 AM IST
Gold and Silver Outlook 2026
Representative Image

Gold and Silver Outlook 2026: 2025 में कीमती धातुओं, सोना और चांदी, ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिए और कई रिकॉर्ड कीमतें तोड़ीं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत में 26 दिसंबर तक 174% की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जबकि सोने की कीमत में 72.7% का उछाल देखा गया।

भारत में भी MCX पर चांदी की कीमत में 165.2% और सोने में 81.1% की तेजी आई।

हालांकि, निवेशक अब 2026 में इस “पीढ़ीगत” रैली के जारी रहने की संभावना को लेकर उत्सुक हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले साल में रिटर्न की उम्मीदों में थोड़ी संयम बरतना बेहतर रहेगा।

2025 में सोना-चांदी ने बनाया रिकॉर्ड, निवेशकों ने की शरण

2025 में सोना और चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी गई। निवेशक बढ़ती आर्थिक अनिश्चितताओं और वैश्विक तनाव के बीच इन धातुओं को सुरक्षित निवेश के रूप में खरीदते रहे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की बढ़ोतरी के पीछे कई बड़े कारण हैं। लगातार भू-राजनीतिक तनाव, उच्च सरकारी कर्ज, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अनुशासन को लेकर चिंता और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की भारी खरीद ने कीमतों को ऊपर धकेला।

चांदी की कीमत में भी तेजी आई, क्योंकि इसके औद्योगिक इस्तेमाल – जैसे क्लीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहन – बढ़ते जा रहे हैं।

एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी के अनुसार, “इस बार सोने और चांदी का बुल रन सिर्फ अस्थायी उतार-चढ़ाव नहीं है, बल्कि लंबी अवधि के कई कारकों का परिणाम है। वैश्विक आर्थिक तनाव, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, बढ़ता कर्ज, भू-राजनीतिक अस्थिरता और कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा डॉलर कम इस्तेमाल करना जैसी स्थितियां आगे भी 2026 तक प्रभाव डाल सकती हैं।”

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सोने और चांदी की कीमतों में तेजी जारी रहने की संभावना, 2026 में भी बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है

विश्लेषकों का मानना है कि 2026 में भी सोने और चांदी की बढ़त जारी रह सकती है, हालांकि बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावना बनी रहेगी। 2025 में हुई जबरदस्त तेजी के बाद छोटे स्तर की गिरावट या ठहराव को “सामान्य” बताया जा रहा है।

एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी के अनुसार, आने वाले 12–18 महीनों में सोने की कीमतें ऊपर की ओर बढ़ सकती हैं और ₹1,50,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि हालांकि अल्पकालिक उतार-चढ़ाव होगा, लेकिन केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और उभरते बाजारों में मुद्रा कमजोर होने के कारण सोने की कीमतों के लिए मजबूत आधार बना रहेगा।

त्रिवेदी ने कहा, “कोई भी बड़ी गिरावट आमतौर पर हल्की होगी और इसे लंबी अवधि में सोना खरीदने का अवसर माना जाना चाहिए, न कि बाजार का उल्टा रुख।”

कोटक सिक्योरिटीज और यूबीएस के विश्लेषकों का भी मानना है कि सोना अब ‘हाईयर-फॉर-लॉन्गर’ चरण में प्रवेश कर चुका है और आने वाले साल में $5,000 प्रति औंस तक पहुंच सकता है।

कोटक सिक्योरिटीज ने कहा कि “मुद्रा के मूल्य में गिरावट के जोखिम और फिएट मुद्रा से दूर निवेश की प्रवृत्ति केंद्रीय बैंकों और निवेशकों द्वारा सोने की लगातार खरीद को समर्थन देती है। वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां भी लंबी अवधि में ढील की ओर झुक रही हैं, जिससे सोने की सकारात्मक प्रवृत्ति बनी रहेगी।”

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चांदी का दमदार रुझान जारी रहने की संभावना

विश्लेषकों का मानना है कि 2026 में भी चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। वैश्विक स्तर पर आसान मौद्रिक नीतियों से चाँदी को फायदा मिलने की उम्मीद है।

औद्योगिक मांग में भी बढ़ोतरी की संभावना है। सोलर पैनल की बढ़ती स्थापना, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार, बेहतर बैटरी तकनीक और सेमीकंडक्टर में उपयोग बढ़ने से मांग बढ़ सकती है।

कोटक सिक्योरिटीज के अनुसार, चांदी का दाम $48 से $70 प्रति औंस के बीच रहने की संभावना है, जबकि विशेष परिस्थितियों में $75 तक भी पहुँच सकता है।

एक्सिस सिक्योरिटीज ने कहा कि $60 प्रति औंस से ऊपर चांदी का भाव औद्योगिक मांग पर असर डाल सकता है। हालांकि, यदि चांदी लगातार $67 प्रति औंस से ऊपर बंद होती है, तो यह $76-$80 तक के लंबे समय तक चलने वाले रुझान की ओर इशारा कर सकता है।

भारतीय बाजार में, अगर चांदी का भाव ₹1,70,000-1,78,000 प्रति किलो तक गिरता है, तो इसे खरीदने का अवसर माना जा सकता है। विश्लेषकों के अनुसार 2026 में चांदी का लक्ष्य ₹2,25,000-2,50,000 प्रति किलो तक हो सकता है।

सोने-चांदी की मांग में उतार-चढ़ाव का खतरा, लेकिन दीर्घकालिक आकर्षण बरकरार

InCred Money के विश्लेषकों ने बताया कि आगे का रास्ता बिल्कुल आसान नहीं रहेगा। अगर रियल ब्याज दरें तेजी से बढ़ीं, अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ या वैश्विक बाजारों में जोखिम लेने की प्रवृत्ति बढ़ी, तो इससे अस्थायी रूप से सोने और चांदी की मांग पर असर पड़ सकता है।

फिर भी, विशेषज्ञों के अनुसार, जब तक दुनिया भर का कर्ज ऊंचा है, ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं और केंद्रीय बैंक अपनी विदेशी मुद्रा भंडार को विविधित करते रहते हैं, सोना और चांदी निवेशकों के लिए रणनीतिक रूप से आकर्षक बने रहेंगे। हालांकि, निवेश में उतार-चढ़ाव और सही समय पर ही प्रवेश करना जरूरी होगा।

First Published - December 30, 2025 | 11:27 AM IST

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