देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि पहली दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 में पूरे साल के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत या इससे ऊपर रहने की उम्मीद है।
दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े की जानकारी देते हुए सीईए ने कहा, ‘पिछले 10-11 साल के दौरान भौतिक और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के कारण ऐसी अर्थव्यवस्था बन गई है, जिसकी वजह से शुल्क के झटकों के बावजूद निर्यात बढ़ा है और जून 2024 के बाद के नीतिगत फैसले और गतिशीलता का सकारात्मक असर नजर आ रहा है।’
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 6 तिमाहियों के उच्च स्तर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत थी। 2024-25 की आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2026 में वृद्धि दर 6.3 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। सीईए ने कहा कि जोखिम की वजहें मुख्य रूप से वैश्विक पक्ष से हैं और उन पर नजर रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘भूराजनीतिक जोखिम का असर विदेश से आने वाली पूंजी और घरेलू निवेश पर बना रहेगा। मौजूदा अनिश्चित वैश्विक माहौल में भारत की अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से स्थिर और बेहतर नजर आती है।’
नागेश्वरन ने कहा कि शुल्क का असर कम करने के लिए निर्यातकों द्वारा अन्य बाजारों की तलाश की कवायद के बावजूद अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क का नकारात्मक असर अभी नजर आ रहा है।
उन्होंने कहा कि इसका असर वस्तु निर्यात के आंकड़ों पर दिखा, जो -11.8 प्रतिशत पर पहुंच गया। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सचिव सौरभ गर्ग ने कहा कि 7 जनवरी को जारी होने वाले पहले अग्रिम अनुमान के आंकड़े मौजूदा आधार पर होंगे और नए आधार पर आधारित आंकड़े 27 फरवरी को जारी किए जाएंगे। गर्ग ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2026 के लिए तीसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े नए आधारपर होंगे।’