चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था छह तिमाही में सबसे ज्यादा 8.2 फीसदी बढ़ी जो आधिकारिक और निजी दोनों अनुमान से काफी अधिक है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से आज जारी आंकड़ों से पता चला कि कम आधार और सॉफ्ट डिफ्लेटर ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को ऊपर उठाया मगर असली उछाल विनिर्माण क्षेत्र के दम पर आई। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र 9.1 फीसदी बढ़ा और अमेरिकी शुल्क के बावजूद वृद्धि को रफ्तार देने में सफल रहा।
निजी क्षेत्र के ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 7 से 7.5 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया था जबकि भारतीय रिजर्व बैंक ने 7 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया था। जुलाई-सितंबर तिमाही में नॉमिनल जीडीपी 8.7 फीसदी बढ़ी जबकि वित्त मंत्रलय ने पूरे वित्त वर्ष के लिए 10.1 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया है।
वास्तविक और नॉमिनल जीडीपी वृद्धि के बीच अंतर वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के बाद सबसे कम रह गया है। पूरे वित्त वर्ष में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि में गिरावट से कर संग्रह का लक्ष्य पूरा करना कठिन हो सकता है और केंद्र के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4 फीसदी तक सीमित करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 8 फीसदी रही है और पहली तिमाही में यह 7.8 फीसदी की दर से बढ़ा था। इसने अर्थशास्त्रियों को पूरे वित्त वर्ष के लिए अपने अनुमान को संशोधित करने के लिए मजबूर कर दिया है। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि तीसरी तिमाही में भी वृद्धि की रफ्तार बनी रहेगी।
उन्होंने कहा, ‘माल एवं सेवा कर, आयकर और ब्याज दर में कटौती से निजी खपत को बढ़ावा मिल रहा है। हालांकि सरकार का व्यय स्थिर बना रहेगा मगर निजी निवेश में तेजी आने के संकेत हैं। हमने वित्त वर्ष 2026 के लिए वृद्धि दर का अनुमान पहले के 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है।’
सितंबर तिमाही में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 9.2 फीसदी रही। कृषि क्षेत्र में 3.5 फीसदी की मजबूत वृद्धि देखी गई मगर यह पहली तिमाही के 3.7 फीसदी से थोड़ा कम रही। केयरऐज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि दूसरी तिमाही के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे हैं, इसके बावजूद रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में दर कटौती कर सकता है।