वित्त वर्ष 2025-26 के पहले 7 महीनों में सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर 8.25 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो बजट अनुमान का 52.6 प्रतिशत है। पिछले वित्त वर्ष की इस अवधि में यह 46.5 प्रतिशत था। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान पूंजीगत व्यय में पिछले वर्ष की तुलना में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसकी वजह से घाटा बढ़ा है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में कर राजस्व बजट अनुमान (बीई) का 45 प्रतिशत रहा है, जबकि पिछले वर्ष यह 50 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान सकल कर राजस्व में सालाना आधार पर 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, हालांकि अक्टूबर में वृद्धि लगभग 13 प्रतिशत थी। इसमें आयकर में 6.9 प्रतिशत और कॉर्पोरेट कर संग्रह में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि शामिल है।
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विशेषज्ञों ने कहा कि बजट के 42.7 लाख करोड़ रुपये सकल कर राजस्व संग्रह का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल होगा क्योंकि इसके लिए वित्त वर्ष 2026 में नवंबर से मार्च के दौरान सालाना आधार पर 22 प्रतिशत वृद्धि की जरूरत है। इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘बाद की समय सीमा के हिसाब से व्यक्तिगत आयकर के आधार का असर काफी हद तक सामान्य हो गया है। इसे देखते हुए वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमान को पूरा करने के लिए शेष महीनों में 24 प्रतिशत की तेज वृद्धि चुनौतीपूर्ण लगती है। विशेष रूप से सीजीएसटी संग्रह को वित्त वर्ष के अंतिम 5 महीनों के दौरान 18 प्रतिशत तक बढ़ने की जरूरत होगी। इससे लक्ष्य में चूक की संभावना बनती है।’
सार्वजनिक व्यय पर जोर के कारण पूंजीगत व्यय बजट लक्ष्य के 55 प्रतिशत पर पहुंच गया है और वित्त वर्ष 2026 में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 6.2 लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। वहीं पिछले साल की समान अवधि में बजट अनुमान का 42 प्रतिशत खर्च हुआ था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि पूंजीगत व्यय को बजट अनुमान के मुताबिक बनाए रखने के लिए इस वित्त वर्ष के शेष महीनों में इसमें 14 प्रतिशत कटौती करनी होगी।