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सरकारी बॉन्डों की साप्ताहिक नीलामी सफल, रुपये के लिए जुलाई के बाद नवंबर सबसे खराब

आरबीआई ने 9 नवंबर को 7 वर्षीय केंद्रीय सरकारी बॉन्ड की बिक्री रद्द कर दी थी क्योंकि निवेशकों ने 6.50 फीसदी के आसपास प्रतिफल की मांग की थी

Last Updated- November 28, 2025 | 10:10 PM IST
Bonds

सरकार ने शुक्रवार को साप्ताहिक नीलामी में करीब 32,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे। डीलरों ने बताया कि 7 साल के बॉन्ड पर कटऑफ यील्ड 6.43 फीसदी तय की गई थी, जो मजबूत मांग दर्शाती है।

एक निजी बैंक के डीलर ने कहा, पिछली नीलामी (जब 7-वर्षीय प्रतिभूतियां रद्द हो गई थीं) से इस नीलामी में मुख्य बदलाव यह है कि मांग में सुधार हुआ है। इस बार, प्रतिफल बाजार की उम्मीदों के अनुरूप रहा। आरबीआई के गवर्नर द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेत के बाद बाजार में धारणा बदल गई, जिससे बाज़ार को आगे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ गई। इस उम्मीद ने मांग को बढ़ावा दिया।

आरबीआई ने 9 नवंबर को 7 वर्षीय केंद्रीय सरकारी बॉन्ड की बिक्री रद्द कर दी थी क्योंकि निवेशकों ने 6.50 फीसदी के आसपास प्रतिफल की मांग की थी। यह नए 10 वर्षीय बॉन्ड की तुलना में ज्यादा था। लिहाजा, केंद्रीय बैंक की नजर में यह अस्वीकार्य था। बाजार सहभागियों ने कहा कि प्रतिफल काफी हद तक बाजार की उम्मीदों के अनुरूप रहा जबकि ग्रीन बॉन्ड ने पूर्वानुमानों से बेहतर प्रदर्शन किया, पर्याप्त बोलियां आकर्षित कीं और इसकी कटऑफ प्रचलित बाजार स्तरों के आसपास रही। एलआईसी ने समूचा ग्रीन हिस्सा हासिल किया।

एक प्राथमिक डीलरशिप ने कहा, यील्ड मोटे तौर पर बाजार की उम्मीदों के अनुरूप रही। ग्रीन बॉन्ड ने अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया। पर्याप्त बोलियां प्राप्त हुईं और इसकी कटऑफ बाजार स्तर के करीब रही, जिसमें एलआईसी ने पूरा ग्रीन हिस्सा हासिल किया।

तीन प्रमुख कारकों ने बाजार का समर्थन किया- पहला, आरबीआई की द्वितीयक ओएमओ में ऑन-स्क्रीन भागीदारी, दूसरा नीलामी रद्द होना, जिसने उच्च यील्ड को लेकर कुछ असहजता का संकेत दिया और तीसरा, आरबीआई गवर्नर की नरम रुख वाली टिप्पणी। इन सबने मिलकर बाजार की स्थिति को पहले से कहीं अधिक सहज बना दिया। 7 वर्षीय सेगमेंट में भी एक स्वस्थ बोली कवर अनुपात देखा गया और सभी क्षेत्रों में मजबूत मांग देखी गई।

दूसरी ओर, रुपये के लिए जुलाई के बाद से यह अब तक का सबसे खराब महीना रहा और नवंबर में अब तक 0.8 फीसदी की गिरावट आई। शुक्रवार को स्थानीय मुद्रा 0.17 फीसदी गिरकर 89.46 प्रति डॉलर पर बंद हुई।

रुपये पर महीने के अंत में डॉलर की मांग का दबाव है जबकि आरबीआई स्थानीय मुद्रा को रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने से रोकने के लिए डॉलर बेच रहा है। नवंबर में 4.3 फीसदी की गिरावट के साथ घरेलू मुद्रा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्रा है। ईरानी कच्चा तेल खरीदने के लिए भारतीय कंपनी पर प्रतिबंधों और व्यापार समझौते में देरी के कारण मनोबल पर असर पड़ने से 21 नवंबर को रुपया 89.54 प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर चला गया था।

First Published - November 28, 2025 | 10:00 PM IST

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