Mumbai AQI: मुंबई की बिगड़ती आबोहवा की गाज शहर में चल रहे निर्माण कार्यों पर गिरना शुरू हो गई है। बंबई उच्च न्यायालय ने प्रदूषण से निपटने के लिए एक स्वतंत्र पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है, ताकि निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया जा सके और यह पता लगाया जा सके कि दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं। मुंबई में बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के मद्देनजर बीएमसी पहले ही 53 निर्माण स्थलों पर काम रोकने के नोटिस जारी कर चुकी है।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अनखड की पीठ ने एक स्वतंत्र पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति में बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। मुंबई में बिगड़ते एक्यूआई पर चिंता जताने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने बीएमसी और एमपीसीबी को निर्देश दिया कि वे पिछले साल उठाए गए कदमों के बारे में 15 दिसंबर तक कार्रवाई रिपोर्ट पेश करें। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि देश की आर्थिक राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 2023 से हर साल बिगड़ रहा है। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर ने कहा कि इस समस्या से निपटने में कुछ समय लगेगा। दिल्ली 15 साल से ज्यादा समय से संघर्ष कर रही है।
पीठ ने कहा है कि निर्माण स्थलों पर विशेष दस्तों के दौरे, सीसीटीवी कैमरे लगाने और सेंसर आधारित वायु प्रदूषण मॉनिटर लगाने के रिकॉर्ड की जांच की जानी चाहिए। अदालत द्वारा सहायता के लिए नियुक्त वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने कहा कि निर्माण स्थलों के लिए अदालत द्वारा 2024 में निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है, जिनमें सीसीटीवी कैमरे लगाना, सेंसर-आधारित वायु प्रदूषण मॉनिटर लगाना और पानी का छिड़काव शामिल है। बीएमसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने कहा कि विशेष दस्ते हैं जो निर्माण स्थलों पर आकस्मिक जांच करते हैं।
अतिरिक्त महानगरपालिका आयुक्त (शहर) अश्विनी जोशी ने चेतावनी दी कि यदि एक्यूआई सेंसर चालू नहीं पाए गए, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बीएमसी ने वायु प्रदूषण को कम करने के कई कदम उठाएं है, जिनमें बेकरी और श्मशान में स्वच्छ ईंधन के उपयोग को अनिवार्य करना, इलेक्ट्रिक बसें शुरू करना, निर्माण मलबे का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन करना और सड़कों पर धूल कम करने के लिए पानी का छिड़काव करने वाली मशीनों का उपयोग शामिल है। 26 नवंबर तक 53 निर्माण स्थलों को प्रदूषण फैलाने के लिए काम रोकने के नोटिस जारी किए गए हैं।
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शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा ने बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी को पत्र लिखकर उनसे तत्काल और असाधारण कार्रवाई करने का आग्रह किया, जिसमें वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक सभी खुदाई और निर्माण स्थलों पर अस्थायी रोक लगाना भी शामिल है। देवड़ा ने कहा कि मुंबई का वायु प्रदूषण संकट अब कोई मौसमी मुद्दा नहीं रह गया है- यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल है। भारत को वायु प्रदूषण के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी युद्ध और राष्ट्रीय सहमति की आवश्यकता है। शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि मुंबई का एक्यूआई हर दिन खराब होता जा रहा है और शहर इस मामले में दिल्ली से प्रतिस्पर्धा कर रहा है लेकिन सभी सरकारें लोगों की दुर्दशा को नजरअंदाज कर रही हैं।
गुरुवार को बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि अधिकारी महानगर में वायु प्रदूषण के लिए इथोपिया में ज्वालामुखी फटने से उठी राख को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते और एक्यूआई उससे बहुत पहले से ही खराब रहा है।