प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत की अर्थव्यवस्था ने जुलाई से सितंबर के बीच धमाकेदार रफ्तार पकड़ी। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में GDP 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछले साल समान तिमाही के 5.6 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश की GDP अब 48.63 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है, जबकि एक साल पहले ये 44.94 लाख करोड़ थी। नॉमिनल GDP में भी 8.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और वो 85.25 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले साल 78.40 लाख करोड़ थी।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच कि देश की इकोनॉमी मजबूती से आगे बढ़ रही है। पहले तिमाही में 7.8 प्रतिशत की बढ़त के बाद ये दूसरी तिमाही का प्रदर्शन और भी बेहतर है। अर्थशास्त्रियों ने 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद जताई थी, लेकिन असल में ये उससे ऊपर निकली। भारतीय रिजर्व बैंक ने 7 प्रतिशत का अनुमान लगाया था, लेकिन अब उन्होंने पूरे साल के लिए विकास दर का पूर्वानुमान 6.5 से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अक्टूबर की मौद्रिक नीति बैठक में ये ऐलान किया था।
इकोनॉमी की इस तेजी में दूसरे और तीसरे सेक्टर की बड़ी भूमिका रही। मैन्युफैक्चरिंग ने 9.1 प्रतिशत की छलांग लगाई, जबकि कंस्ट्रक्शन में 7.2 प्रतिशत बढ़त दर्ज हुई। सर्विस सेक्टर में फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज ने 10.2 प्रतिशत का जोरदार प्रदर्शन किया, जिससे पूरा तृतीयक सेक्टर 9.2 प्रतिशत बढ़ा। कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में बढ़त थोड़ी धीमी रही, सिर्फ 3.5 प्रतिशत। बिजली, गैस, पानी और अन्य यूटिलिटी सर्विसेज में 4.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
असल GVA भी 8.1 प्रतिशत बढ़कर 44.77 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले साल 41.41 लाख करोड़ थी। ग्रामीण इलाकों में मजबूत खर्च और सरकारी खर्च ने इस बढ़त को सपोर्ट किया, हालांकि प्राइवेट कैपिटल स्पेंडिंग अभी सुस्त बनी हुई है। रॉयटर्स के एक पोल में अर्थशास्त्रियों ने यही बात कही थी। इकोनॉमी की इस तेजी में दूसरे और तीसरे सेक्टर की बड़ी भूमिका रही। मैन्युफैक्चरिंग ने 9.1 प्रतिशत की छलांग लगाई, जबकि कंस्ट्रक्शन में 7.2 प्रतिशत बढ़त दर्ज हुई। सर्विस सेक्टर में फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज ने 10.2 प्रतिशत का जोरदार प्रदर्शन किया, जिससे पूरा तृतीयक सेक्टर 9.2 प्रतिशत बढ़ा। कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में बढ़त थोड़ी धीमी रही, सिर्फ 3.5 प्रतिशत। बिजली, गैस, पानी और अन्य यूटिलिटी सर्विसेज में 4.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
गौरतलब है कि भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेज बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ थोप दिया है। इसके असर से विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक भारतीय शेयर बाजार से 16 अरब डॉलर निकाल लिए हैं। ये निकासी इकोनॉमी पर दबाव डाल रही है, लेकिन घरेलू ताकत ने अभी तक इसे संभाला हुआ है। सरकार और RBI की नीतियां आगे की दिशा तय करेंगी।