देश के 19 राज्यों ने जारी वित्त वर्ष 2025-26 (वित्त वर्ष 26) में अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में बजट के पूंजीगत व्यय का 33.5 प्रतिशत खर्च किया है। यह जानकारी भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक ने 19 राज्यों के मासिक लेखा रिपोर्ट के विश्लेषण में दी।
दरअसल उपलब्ध 19 राज्यों के आंकड़े में 16 राज्यों ने वित्त वर्ष 26 के पहले सात महीनों में बजट के अपने अनुमानों (बीई) से 50 प्रतिशत कम पूंजीगत व्यय खर्च किया है। इन 19 राज्यों में हरियाणा बजट अनुमान के तहत पूंजीगत व्यय में अव्वल रहा।
हरियाणा ने इस अवधि में बजट के अनुमानों का 85 प्रतिशत खर्च किया। इसके बाद बाद तेलंगाना ने 80.1 प्रतिशत, केरल ने 52.9 प्रतिशत और मध्य प्रदेश ने 47.8 प्रतिशत बजट के अनुमानों का खर्च किया। इसके विपरीत चार राज्यों उत्तर प्रदेश (19.4 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (17.5 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (17.3 प्रतिशत) और त्रिपुरा (15.1 प्रतिशत) ने अनुमानों के 20 प्रतिशत से कम खर्च किया।
पूंजीगत व्यय की यह गति इन 19 राज्यों में पूंजीगत व्यय के लिए लगभग 9.01 लाख करोड़ रुपये के कुल बजट अनुमान से बिल्कुल विपरीत है। इसमें अक्टूबर तक वास्तविक व्यय केवल 3.01 लाख करोडड रुपये के आसपास ही पहुंच पाया है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में केंद्र का कुल पूंजीगत व्यय बजट अनुमान का 52 प्रतिशत रहा।
राज्यों ने वित्त वर्ष 26 के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) में अपने बजट के राजस्व व्यय का लगभग 47.2 प्रतिशत उपयोग किया है। इसमें 19 राज्यों का संचयी राजस्व व्यय 43.8 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले 20.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
इस मामले में हिमाचल प्रदेश (56.5 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (55.5 प्रतिशत) और पंजाब (45.7 प्रतिशत) में राजस्व व्यय उपयोग दर अपेक्षाकृत अधिक दर्ज की गई। हालांकि ओडिशा (43.8 प्रतिशत), महाराष्ट्र (43 प्रतिशत) और त्रिपुरा (40.3 प्रतिशत) इस मामले में निचले स्तर पर थे।