अर्थव्यवस्था

वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती बरकरार: वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय ने कहा कि अर्थव्यवस्था के स्वतंत्र आकलन वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.0 से 7.5 प्रतिशत की सीमा में रखते हैं

Published by
रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- November 27, 2025 | 10:36 PM IST

भारत की अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत है और इस वित्त वर्ष की शेष अवधि में वृद्धि का दायरा कायम रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को अक्टूबर की मासिक आर्थिक समीक्षा में बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था के वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद उभरती चुनौतियों से निपटने की संभावना है। इन वैश्विक चुनौतियों में निर्यात, पूंजीगत निवेश और निवेश रुझान पर प्रतिकूल असर की आशंका शामिल हैं।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया कि मजबूत अर्थव्यवस्था के संकेतकों में अच्छी तरह से नियंत्रित महंगाई की उम्मीदें, निरंतर सार्वजनिक पूंजी व्यय और मजबूत ग्रामीण व शहरी मांग हैं। समीक्षा में कहा गया, ‘महंगाई का दृष्टिकोण उत्साहजनक बना हुआ है और इसे वैश्विक जिंसों की कीमतों में नरमी, सौम्य ऊर्जा बाजारों और लक्षित घरेलू आपूर्ति हस्तक्षेपों का समर्थन मिल रहा है। हालांकि जोखिमों के संतुलन के लिए निरंतर सतर्कता की आवश्यकता है।’

वित्त मंत्रालय ने कहा कि अर्थव्यवस्था के स्वतंत्र आकलन वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.0 से 7.5 प्रतिशत की सीमा में रखते हैं। ये अंतर्निहित इकनॉमिक गतिविधि में निरंतर मजबूती का संकेत देते हैं। समीक्षा में बाहरी वातावरण में उच्च व्यापार नीति अनिश्चितता पर प्रकाश डाला गया। हालांकि सरकार का मानना है कि वैश्विक दबाव पहले की उच्च स्थितियों की तुलना में कम हो गया है।

वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार समझौतों की श्रृंखला ने इस अनिश्चितता को कम करने में योगदान दिया है, लेकिन इन भागीदारों के बीच स्पष्ट, पारदर्शी और टिकाऊ समझौतों के अभाव के कारण यह अभी भी उच्च स्तर पर बना हुआ है।’

सेवाओं के निर्यात ने अक्टूबर में अपना सबसे अधिक मासिक स्तर हासिल किया। इससे माल व्यापार घाटे को पर्याप्त सहारा मिला। वित्त मंत्रालय ने कहा कि भले ही उच्च शुल्क की आशंका में व्यापार आदेशों के आगे बढ़ने से कैलेंडर 2025 में व्यापार में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई, लेकिन चल रहा विखंडन इस सकारात्मक प्रवृत्ति के संभावित लाभों को सीमित कर सकता है।

वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की रिपोर्ट में बैंक ऋण वृद्धि में पुन: ज्यादा तेजी के शुरुआती संकेतों पर प्रकाश डाला गया। दरअसल, व्यक्तिगत ऋणों के साथ-साथ एमएसएमई के ऋण देने से बैंक ऋणों में निरंतर वृद्धि हुई है।

वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि जीएसटी दरों के युक्तिकरण ने खपत को मापने योग्य बढ़ावा दिया है। यह उच्च-आवृत्ति संकेतकों के मजबूत करने में परिलक्षित होती है। इन संकेतकों में उच्च ई-वे बिल उत्पादन, रिकॉर्ड उत्सव-सीजन ऑटोमोबाइल बिक्री, मजबूत यूपीआई लेन देन मूल्य और ट्रैक्टर बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि शामिल हैं।

समीक्षा में कहा गया है कि अप्रैल-अक्टूबर 2025 के लिए संचयी जीएसटी संग्रह वृद्धि 9.0 प्रतिशत दिखाती है। यह इंगित करती है कि निरंतर खपत व अनुपालन सुधरने के कारण राजस्व निरंतर मजबूत बना हुआ है।

वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘ये घटनाक्रम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग की स्थितियों में व्यापक सुधार की ओर इशारा करते हैं।’

सरकार ने 3 सितंबर को 2017 में अपनी स्थापना के बाद से कर प्रणाली में सबसे महत्त्वपूर्ण सुधार में जीएसटी ढांचे में बुनियादी की घोषणा की। इसके तहत जीएसटी स्तरों को चार से दो मुख्य दरों में स्थानांतरित किया गया। सुधार 22 सितंबर से प्रभावी हुए हैं।

First Published : November 27, 2025 | 10:31 PM IST