वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दरों में कटौती किए जाने से घरेलू खपत को मजबूत बढ़ावा मिला है और इसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 में जोखिमों का सामना करने और विकास की रफ्तार बनाए रखने के लिए मजबूत स्थिति में है। यह बात वित्त मंत्रालय की अक्टूबर महीने की मासिक आर्थिक समीक्षा में कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई दर में कमी और हालिया टैक्स रिफॉर्म के चलते घरेलू आय में बढ़ोतरी हुई है, जिससे आने वाले महीनों में उपभोग (कंजंप्शन) की स्थिति और बेहतर होने की संभावना है।
अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 0.25% पर आ गई, जबकि सितंबर में यह 1.44% थी। मंत्रालय ने बताया कि GST दरों में कटौती, खाने-पीने की महंगाई में गिरावट और अनुकूल बेस इफेक्ट इसकी प्रमुख वजह रहे।
रिपोर्ट में कहा गया कि GST दरों के तर्कसंगत होने का असर विभिन्न हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स में स्पष्ट दिखाई देता है। जैसेकि ई-वे बिल जनरेशन में तेज बढ़ोतरी, त्योहारी सीजन में वाहन बिक्री का रिकॉर्ड स्तर, UPI लेनदेन में उछाल, ट्रैक्टर की बिक्री में बढ़ोतरी देखने को मिली। ये संकेत बताते हैं कि शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में मांग तेजी से सुधर रही है।
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वित्त मंत्रालय ने कहा कि GST दरों को 5%, 12%, 18% और 28% के पुराने ढांचे से हटाकर अब दो मुख्य स्लैब (5% और 18%) में लाने से 99% रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं सस्ती हुई हैं। नई दरें 22 सितंबर से लागू हैं और इसका वास्तविक प्रभाव अगले दो तिमाहियों में और ज्यादा साफ होगा।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में माना गया कि वैश्विक व्यापार नीतियों में अनिश्चितता अभी बनी हुई है, लेकिन पहले की तुलना में दबाव कम है। स्वतंत्र आर्थिक आकलनों के अनुसार, FY26 की दूसरी तिमाही में भारत की वास्तविक GDP वृद्धि दर 7–7.5% के बीच रहने का अनुमान है, जो आर्थिक गतिविधियों की मजबूती को दर्शाता है।
भारत वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही मजबूत आधार के साथ प्रवेश कर रहा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) 28 नवंबर को दूसरी तिमाही के GDP आंकड़े जारी करेगा। पहली तिमाही में ग्रोथ 7.8% के 5-तिमाही उच्च स्तर पर थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सतत रोजगार जेनरेशन और आर्थिक गति बनाए रखने के लिए संरचनात्मक सुधार बेहद जरूरी हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए चार श्रम संहिताओं- वेतन संहिता (2019), औद्योगिक संबंध संहिता (2020), सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020), और व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संहिता (2020) के जरिए 29 पुराने श्रम कानूनों को सरल और आधुनिक बनाया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि यह ऐतिहासिक सुधार भारत को नए युग के श्रम मानकों के अनुरूप तैयार करते हैं और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में अहम रोल निभाएंगे।
एजेंसी इनपुट के साथ