अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया है। निर्यात में भारी गिरावट, सोने के आयात में तेज उछाल और अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा का मुकाबला नहीं करन पाने के चलते भारत के व्यापार समीकरण बिगड़ गए। 100 दिनों टैरिफ शॉक के चलते भारतीय निर्यात में बड़ी गिरावट, जॉब लॉस, इंडस्ट्री पर मार, और व्यापार घाटा का रिकॉर्ड स्तर देखने को मिला है। ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट ‘From disruption to diversification: India’s path through 100 days of tariff shocks’ में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट का कहना है कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत ने अपनी स्ट्रैटेजी में तेज बदलाव किए। साथ निर्यात में सुधार के लिए नए बाजारों का रुख किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका को किए जाने वाले भारतीय निर्यात में सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई। मई 2025 में जहां भारत का अमेरिका को कुल निर्यात 8.8 अरब डॉलर था, वहीं अक्टूबर 2025 में यह घटकर 6.3 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट काफी ज्यादा रही।
चौंकाने वाली बात यह है कि टैरिफ फ्री प्रोडक्ट्स में ही सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। उधर, 50% टैरिफ वाले उत्पाद भी भारी दबाव में रहे। मसलन, स्मार्टफोन निर्यात में मई और सितंबर के बीच 60% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई, जबकि फार्मास्यूटिकल उत्पादों का निर्यात भी लगभग 120 मिलियन डॉलर घट गया।
50 फीसदी भारत-स्पेसिफिक टैरिफ वाले उत्पादों जैसे जेम्स एंड ज्वैलरी, सोलर पैनल, टेक्सटाइल, केमिकल्स, समुद्री उत्पाद और एग्री-फूड के निर्यात में भी भारी नुकसान हुआ। इन श्रेणियों का निर्यात मई 2025 में 4.8 अरब डॉलर था, जो सितंबर 2025 में घटकर 3.2 अरब डॉलर रह गया। लेबर-इंटेंसिव टेक्सटाइल, लेदर और ज्वैलरी सेक्टर पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ा, जिससे रोजगार पर भी असर हुआ। ब्रिकवर्क के अनुसार, 50% अमेरिकी टैरिफ से भारत की GDP ग्रोथ में लगभग 0.5% की कमी का अनुमान है।
बता दें, ब्रिकवर्क रेटिंग्स (BWR) सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) द्वारा रजिस्टर्ड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है और भारत में क्रेडिट रेटिंग करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा मान्यता प्राप्त एक्सटर्नल क्रेडिट असेसमेंट इंस्टीट्यूशन (ECAI) है।
रिपोर्ट का कहना है कि भारत का व्यापार घाटा (Trade Deficit) अक्टूबर 2025 में ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया। यह बढ़कर 41.7 अरब डॉलर हो गया, जिसमें सबसे बड़ा योगदान सोने के आयात में रिकॉर्ड उछाल का रहा। सोने का आयात लगभग तीन गुना बढ़कर 14.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि, सर्विसेज का निर्यात मजबूत रहा और अक्टूबर 2025 में यह सालाना आधार पर 12% उछलकर 38.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
ब्रिकवर्क की रिपोर्ट कहती है, भारत ने इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अपनी स्ट्रैटेजी में तेज बदलाव किए। अमेरिकी बाजार में आई गिरावट की भरपाई के लिए भारत ने निर्यात का रुख अन्य देशों UAE, फ्रांस, जापान, चीन, वियतनाम और थाईलैंड की ओर मोड़ दिया। इसका नतीजा यह रहा कि सितंबर 2025 में भारत का कुल माल निर्यात 6.7% बढ़ा, भले ही US टैरिफ का दबाव जारी रहा। हालांकि छोटे और मध्यम इंडस्ट्री पर इसका गहरा असर हुआ। निर्यात आधारित उत्पादन में गिरावट से इन सेक्टरों में नौकरियों का संकट और निवेश में कमी दर्ज की गई।
सरकार ने MSME क्षेत्र को सपोर्ट देने, निर्यात फाइनेंस आसान बनाने और उत्पाद डायवर्सिफिकेशन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। साथ ही भारत-UK FTA, इंडिया-EFTA समझौते और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को तेज किया गया है। भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 के अंत तक अमेरिका के साथ एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौता करना है, जिसमें टैरिफ में रियायत, मार्केट एक्सेस और घरेलू संवेदनशील इंडस्ट्री जैसेकि कृषि, मत्स्य और MSME की सुरक्षा शामिल होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की यह ‘डाइवर्सिफिकेशन स्ट्रैटेजी’ केवल मौजूदा संकट का समाधान नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक ज्यादा सस्टेनेबल और स्टेबल निर्यात मॉडल भी तैयार कर रही है।
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