भारत में आज बहुत सी महिलाएं काम कर रही हैं और नए लेबर कोड उनके लिए काम की जगह को ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए बड़ा कदम हैं। इन नए नियमों का मकसद है कि महिलाओं को वर्कप्लेस पर बराबरी मिले, सुरक्षा मिले और फैसले लेने में भी उनकी भागीदारी बढ़े। इन बदलावों से महिलाओं के अधिकार मजबूत होंगे और उन्हें हर तरह की नौकरी करने का मौका मिलेगा, चाहे वह नाइट शिफ्ट हो या मुश्किल काम हो। इन नियमों से महिलाएं आर्थिक रूप से भी मजबूत होंगी और देश में काम करने का माहौल और अच्छा व सुरक्षित बनेगा।
नए लेबर कोड के अनुसार कंपनियों में बनने वाली ग्रिवेंस रिड्रेसल कमेटी में महिलाओं को उनकी कुल कार्यबल में हिस्सेदारी के अनुसार प्रतिनिधित्व मिलना जरूरी है। इससे महिलाओं को अपनी समस्याओं और शिकायतों को खुलकर रखने में अधिक सुविधा मिलेगी। जब किसी कमेटी में महिलाएं होती हैं तो वे सुरक्षा, उत्पीड़न, मातृत्व और काम की जगह से जुड़ी समस्याओं को बेहतर समझ पाती हैं और उन्हें सही तरीके से हल कर सकती हैं। यह बदलाव कार्यस्थल पर भेदभाव कम करता है और महिलाओं के लिए एक न्यायपूर्ण और सुरक्षित माहौल बनाता है।
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नए नियमों के अनुसार किसी महिला कर्मचारी को मातृत्व लाभ पाने के लिए पिछले 12 महीनों में कम से कम 80 दिन काम करना जरूरी है। अगर वह पात्र है तो उसे मातृत्व अवकाश के दौरान पूरा वेतन मिलेगा। कुल छुट्टी 26 सप्ताह की होगी, जिसमें से आठ सप्ताह की छुट्टी वह डिलीवरी से पहले भी ले सकती है। अगर कोई महिला तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती है या सरोगेसी से मां बनती है, तो उसे बारह सप्ताह की छुट्टी मिलेगी। यह व्यवस्था महिलाओं को गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के समय आर्थिक सुरक्षा देती है और उन्हें अपना स्वास्थ्य और बच्चे की देखभाल अच्छे से करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है।
यदि महिला का काम घर से किया जा सकता है तो मातृत्व लाभ लेने के बाद वह अपने नियोक्ता की अनुमति से घर से काम कर सकती है। यह सुविधा महिलाओं को बच्चे की देखभाल और नौकरी दोनों को संतुलित करने में बहुत सहायक साबित होती है और उनके कार्यस्थल पर लौटने में आने वाली कठिनाइयों को कम करती है।
नए कोड में डिलीवरी, गर्भावस्था, गर्भपात और इससे जुड़ी स्थितियों के लिए मेडिकल प्रमाणपत्र लेना अब पहले से बहुत आसान कर दिया गया है। अब महिला को सिर्फ डॉक्टर के पास ही नहीं जाना पड़ेगा, बल्कि वह आशा कार्यकर्ता, प्रशिक्षित नर्स या दाई से भी यह प्रमाणपत्र ले सकती है। पहले यह सुविधा सिर्फ अस्पताल या डॉक्टर तक सीमित थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया सरल और आसानी से उपलब्ध हो गई है, जिससे महिलाओं को काफी सुविधा मिलेगी।
अगर कंपनी महिला कर्मचारी को गर्भावस्था और डिलीवरी के समय मुफ्त मेडिकल सुविधा नहीं देती है, तो उसे 3500 का मेडिकल बोनस दिया जाएगा। बच्चे के जन्म के बाद जब महिला फिर से काम पर लौटती है, तो उसे दिन में दो बार बच्चे को दूध पिलाने के लिए ब्रेक लेने की अनुमति होगी। यह सुविधा बच्चे के 15 महीने होने तक मिलेगी। यह व्यवस्था कामकाजी माताओं के लिए बहुत मददगार है क्योंकि इससे उन्हें बच्चे की देखभाल में आसानी होती है और नवजात को समय पर पोषण मिलता रहता है।
जहां किसी कंपनी में 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, वहां क्रेच की सुविधा रखना जरूरी बना दिया गया है। महिला कर्मचारी दिन में चार बार क्रेच में जाकर अपने बच्चे को देख सकती है। यह सुविधा छोटे बच्चों की देखभाल को बहुत आसान बनाती है और महिलाओं को काम के दौरान अधिक सुरक्षित और निश्चिंत महसूस कराती है। इससे महिलाएं अपने परिवार और नौकरी दोनों को बेहतर तरीके से संभाल पाती हैं और बिना किसी रुकावट अपने करियर को आगे बढ़ा सकती हैं।
नए लेबर कोड के अनुसार अब महिलाएं हर तरह के उद्योग और वर्कप्लेस पर काम कर सकती हैं। उन्हें नाइट शिफ्ट में काम करने की भी अनुमति दी गई है, लेकिन इसके लिए कंपनी को उनकी सुरक्षा, सुविधाओं और आने जाने की उचित व्यवस्था करनी होगी। यह बदलाव महिलाओं के लिए रोजगार के और ज्यादा रास्ते खोलता है और उन्हें हर क्षेत्र में पुरुषों की तरह बराबरी से काम करने का अवसर देता है।
कोड में साफ कहा गया है कि किसी भी कंपनी को भर्ती, वेतन या नौकरी की दूसरी शर्तों में महिला और पुरुष के बीच भेदभाव करने की अनुमति नहीं है। समान काम करने पर महिलाओं को भी पुरुषों जितना ही वेतन मिलेगा। इससे महिलाओं को उनकी मेहनत का सही हक मिलेगा और कार्यस्थल पर सबके लिए बराबरी का माहौल बनेगा।
केंद्र और राज्य स्तर पर बनने वाले सलाहकार बोर्डों में अब एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी। ये बोर्ड न्यूनतम वेतन और महिलाओं की नौकरी से जुड़ी जरूरी नीतियों पर सुझाव देंगे। इससे नीतियां बनाते समय महिलाओं की जरूरतों और समस्याओं को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा और उन्हें सही रूप से शामिल किया जा सकेगा। इससे महिलाओं के लिए अधिक सहायक और न्यायपूर्ण नीतियां बनेंगी। (PIB के इनपुट के साथ)