भारत के शेयर बाजार में पिछले कुछ सालों से हेल्थकेयर सेक्टर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इक्विरस कैपिटल की एक नई रिपोर्ट कहती है कि एनएसई हेल्थकेयर इंडेक्स ने पिछले 1 साल, 3 साल और 5 साल में निफ्टी 50 से ज्यादा फायदा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, हेल्थकेयर से जुड़े तीनों बड़े सेक्टर – मेडटेक, हॉस्पिटल और फार्मा ने अच्छा काम किया है और इसी वजह से निवेशक इन सेक्टरों में ज्यादा पैसा लगा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थकेयर सेक्टर की कंपनियों ने बाकी बाजार से ज्यादा अच्छा काम किया है। पिछले तीन साल में जहां निफ्टी 50 ने 48% का फायदा दिया, वहीं फार्मा सेक्टर ने 73%, और हॉस्पिटल कंपनियों ने 183% का बड़ा फायदा दिया। मेडटेक सेक्टर सबसे आगे रहा और उसने 221% का फायदा दिया, जो दिखाता है कि यह सेक्टर बहुत मजबूत है। पिछले एक साल में भी यही स्थिति रही- मेडटेक और हॉस्पिटल कंपनियों ने निफ्टी 50 से कई गुना ज्यादा रिटर्न दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक लाइफ साइंसेज और हेल्थकेयर सेक्टर में कंपनियां पहले से ज्यादा पैसा जुटा रही हैं। कोविड-19 के समय FY22 में जहां 62,432 करोड़ रुपये जुटे थे, वहीं FY26 में यह बढ़कर 72,440 करोड़ रुपये हो गया है। इक्विरस कैपिटल के डायरेक्टर सिद्धार्थ अय्यर ने कहा कि इस साल सेक्टर के हर हिस्से में कामकाज बढ़ा है और डील का साइज भी पहले से बहुत बड़ा हो गया है। फ़ार्मा सेक्टर में एक डील का औसत आकार 700 करोड़ से बढ़कर 2,100 करोड़ रुपये हो गया, और हॉस्पिटल सेक्टर में यह 300 करोड़ से बढ़कर 850 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट के अनुसार हेल्थकेयर सेक्टर में कंपनियों के बीच होने वाले सौदे (M&A) बहुत बड़े हो गए हैं। पहले की तुलना में अब एक सौदे की औसत कीमत चार गुना बढ़कर 3,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। इसके अलावा FY26 में शेयर बाजार के जरिए जो कुल 51,000 करोड़ रुपये जुटाए गए, उसमें से 63% यानी 32,000 करोड़ रुपये सिर्फ फार्मा सेक्टर से आए। यह दिखाता है कि इस समय फ़ार्मा सेक्टर की पकड़ सबसे मजबूत है।
रिपोर्ट में इक्विरस ने साल 2026 के लिए पांच बड़े ट्रेंड बताए हैं। पहला ट्रेंड यह है कि प्राइवेट इक्विटी फंड पूरे देश में फैली हुई हेल्थकेयर सेवाओं को एक जगह जोड़ने की कोशिश और तेज करेंगे, ताकि इलाज की सुविधाएं अच्छे तरीके से लोगों तक पहुंच सकें। दूसरा ट्रेंड यह है कि डायग्नोस्टिक कंपनियां छोटे शहरों और कस्बों में अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए स्थानीय छोटी कंपनियों को खरीदेंगी। तीसरा ट्रेंड यह है कि निवेशकों की दिलचस्पी सिंगल-स्पेशियलिटी अस्पतालों और मेडटेक कंपनियों में बढ़ेगी, क्योंकि इनका भविष्य मजबूत माना जा रहा है। चौथा ट्रेंड यह दिखाता है कि मेडटेक कंपनियों के प्रोडक्ट कम हैं लेकिन मांग ज्यादा है, इसलिए उनकी कीमतें और वैल्यूएशन बढ़ते रहेंगे। पांचवां ट्रेंड यह है कि अस्पताल अब कम खर्च वाले मॉडल पर काम करना शुरू करेंगे, जिससे वे बिना ज्यादा पैसा लगाए अपनी नई शाखाएं खोल सकेंगे।
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रिपोर्ट के मुताबिक पब्लिक मार्केट में फार्मा, CDMO, हॉस्पिटल और डायग्नोस्टिक कंपनियों को उनकी कमाई के मुकाबले काफी ज्यादा कीमत (प्रीमियम) मिल रही है। इसी कारण अब कई कंपनियां IPO, QIP और अन्य तरीकों से बाजार से पैसा जुटाने के लिए उत्साहित हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि पब्लिक और प्राइवेट मार्केट में वैल्यूएशन का बड़ा फर्क है, और यही अंतर कंपनियों को IPO लाने के लिए और ज्यादा प्रेरित कर रहा है।
इक्विरस का मानना है कि आने वाले तीन सालों में हेल्थकेयर और लाइफ साइंसेज सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी (PE) और M&A सौदों के जरिए 5.3 अरब डॉलर से ज़्यादा का निवेश आएगा। इसके अलावा, प्राइवेट इक्विटी कंपनियों के बाहर निकलने (एग्ज़िट) और नई पूंजी जुटाने की योजनाओं की वजह से इक्विटी कैपिटल मार्केट्स में लगभग 8 अरब डॉलर की गतिविधि होने की संभावना है। ब्रोकरेज यह भी कहती है कि सिर्फ हेल्थकेयर और मेडटेक सेक्टर में ही 4.5 अरब डॉलर तक का प्राइवेट इक्विटी निवेश आ सकता है, क्योंकि इन क्षेत्रों की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है।