आईएफएससीए के अध्यक्ष के राजारमन
भारत के एकीकृत वित्तीय क्षेत्र नियामक के रूप में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) की स्थापना के पांच वर्ष बाद गिफ्ट सिटी आईएफएससी में व्यावसायिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। कई नियामक उपायों के दम पर देश के एकमात्र वित्तीय सेवा केंद्र ने कई प्रमुख उपलब्धियां हासिल की हैं। इनमें 1,000 से अधिक संस्थाओं को पंजीकृत करने से लेकर 100 अरब डॉलर से अधिक के बैंक ऋण वितरण की सुविधा तक शामिल हैं। आईएफएससीए के अध्यक्ष के राजारमन का कहना है कि इस केंद्र का बढ़ता वजूद भारत की आर्थिक तरक्की का एक अभिन्न हिस्सा है। गिफ्ट सिटी में समी मोडक के साथ बातचीत के मुख्य अंश:
पिछले 18-20 महीनों में इस केंद्र ने अहम प्रगति की है। आईएफएससीए और गिफ्ट सिटी के आगे बढ़ने की क्या वजह रही है?
सबसे बड़ा कारण तो स्वयं भारत का बढ़ता रसूख रहा है। आज भारत को उन्नत विनिर्माण, विमान, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिकी, दूरसंचार, रक्षा, दवा,बैटरी और सोलर विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में पूंजी की काफी आवश्यकता है। कंपनियों के पास अपना नकदी भंडार है मगर इनमें कई बड़ी परियोजनाओं के लिए विदेशी पूंजी की भी आवश्यकता होगी। गिफ्ट सिटी आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक विदेशी-मुद्रा ऋण, पूंजी और बीमा सहित संबंधित वित्तीय सेवाओं को मदद प्रदान करेगा।
क्या भारत की विदेशी पूंजी जरूरतों का एक अहम हिस्सा अब गिफ्ट सिटी से पूरा किया जा सकता है?
विदेशी पूंजी सीधे भारत में आती रहेगी लेकिन कंपनियों ने महसूस किया है कि गिफ्ट सिटी पूंजी जुटाने का एक अधिक सस्ता एवं पुख्ता जरिया है। फिलहाल आईएफएससी में 35 बैंक शाखाएं हैं और अगले एक या दो वर्षों में कम से कम 50 तक पहुंचाने का लक्ष्य है। जैसे-जैसे दुनिया भर से अधिक मजबूत बैंक आएंगे वैसे ही भारत की पूंजी की आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा इस रास्ते से आता रहेगा।
बाहरी वाणिज्यक उधारी (ईसीबी) और विदेशी पूंजी प्रवाह में गिफ्ट सिटी की क्या भूमिका है?
पिछले एक साल में लगभग 61 अरब डॉलर ईसीबी में से करीब36 फीसदी गिफ्ट सिटी से आई है। यह मोटे तौर पर 19 अरब डॉलर है। उम्मीद है कि समय के साथ यह हिस्सा बढ़ता जाएगा भले ही कुछ विशेष प्रकार की पूंजी अन्य स्रोतों से भी आती रहेगी। इसके अलावा यहां स्थापित फंडों के माध्यम से लगभग 8 अरब डॉलर की शेयर पूंजी भी भारत में आई है। यह पूंजी ज्यादातर विदेशी धन है।
क्या लागत से जुड़ा लाभ इसका मुख्य कारण हैं या दूसरे पहलू भी शामिल हैं?
इससे पांच से छह कारण मौजूद हैं। पहला कारण भारत की आर्थिक तरक्की है। दूसरा मानव पूंजी लाभ, तीसरा गिफ्ट सिटी एवं लागत से जुड़ा पहलू है। चौथा कारण अनुकूल कर नीति है। अंत में सबसे महत्त्वपूर्ण बात एक नियामक एवं मजबूत तंत्र है जो सरल है और वैश्विक एवं घरेलू कंपनियों के बीच आत्मविश्वास का संचार कर रहा है।
गिफ्ट सिटी के लिए आप वृद्धि के किन नए क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रहे हैं?
जिंस कारोबार एक प्रमुख क्षेत्र है। अधिकांश अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र जैसे हॉन्ग कॉन्ग, सिंगापुर, लंदन आदि कारोबारी गतिविधियों के दम पर काफी तेजी से विकसित हुए हैं। भारत एल्युमीनियम, जस्ता और तांबा जैसी जिंसों का एक बड़ा उत्पादक है, लेकिन वैश्विक जिंस बाजार में अभी तक इसका अधिक वजूद नहीं बन पाया है क्योंकि कारोबार के लिए एक पूरी तरह विकसित ढांचा उपलब्ध नहीं है।
गिफ्ट सिटी भारत में आंतरिक कर संग्रह कम कर सकता है या टैक्स मध्यस्थता का कारण बन सकता है?
नियम-कायदे कुछ इस तरह तैयार किए गए हैं कि किसी तरह के विवाद की गुंजाइश नहीं हो। उदाहरण के लिए अगर कोई तकनीक क्षेत्र की कंपनी गिफ्ट सिटी में स्थापित होती है तो उसे विदेशी कारोबार करने की जरूरत होती है और वह घरेलू भारत बाजार को सेवाएं प्रदान नहीं कर सकती है। एक नियामक के रूप में आईएफएससीए वित्तीय बाजार विनियमन और निगरानी पर ध्यान केंद्रित करता है। आयकर समीक्षा आयकर प्राधिकरण ही करते हैं और वित्तीय खुफिया इकाई धन शोधन और आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।
क्या आपको आईएफएससी में दुरुपयोग या नियामक उल्लंघनों के उदाहरण मिले हैं?
निगरानी दल लगातार संस्थाओं का निरीक्षण कर रहे हैं। बैंक और फंड, जो सेंटर में सबसे बड़ी संस्थाएं हैं, मासिक, त्रैमासिक और वार्षिक रिपोर्ट जमा करते हैं और इस बात का पता लगाने के लिए लगातार नजर रखी जाती है कि वे केवल स्वीकृत कारोबार ही कर रहे हैं। जिन मामलों में उल्लंघन पाए गए हैं, उनमें लाइसेंस रद्द करने सहित कड़ी कार्रवाई की गई है। उदाहरण के लिए एक खराब छवि वाले देश के साथ सौदे करने वाले एक बीमा ब्रोकर का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।