प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
केंद्र सरकार ने बीते 21 नवंबर को चारों नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं। इन नए लेबर कोड्स ने पुराने 29 लेबर लॉ की जगह ली है। इसके तहत मजदूरों, कर्मचारियों, गिग वर्कर्स आदि की जिंदगी को आसान बनाने की कोशिश की गई है। सरकार ने कहा है कि इन लेबर कोड्स का मकसद है, वर्कर्स को बेहतर वेज, सेफ्टी, सोशल सिक्योरिटी और वेलफेयर का फायदा देना। पहले के नियम काफी कठिन थे, जिसमें अलग-अलग सेक्टर्स के लिए अलग-अलग नियम बनाए गए थे। लेकिन अब ये चार कोड्स, जिन्हें कोड ऑन वेजेज, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड और इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड का नाम दिया गया है, के तहत इसे आसान करने की कोशिश की गई है।
नए लेबर कोड से करीब 40 करोड़ से ज्यादा वर्कर्स को लाभ मिलने की संभावना है। इसका सबसे ज्यादा लाभ अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर वाले कामगारों को मिलेगा, जिसमें माइग्रेंट वर्कर्स, कॉन्ट्रैक्ट पर काम वाले लोग, ड्राइवर, डिलीवरी करने वाले जैसे वर्कर्स शामिल हैं। यह बदलाव न सिर्फ वर्कर्स की फाइनेंशियल सिक्योरिटी बढ़ाएंगे, बल्कि उनकी हेल्थ, जॉब सिक्योरिटी और फैमिली वेलफेयर को भी सपोर्ट करेंगे।
नए लेबर कोड में सबसे महत्वपूर्ण क्लॉज यह है कि अब हर तरह के वर्कर को मिनिमम वेज मिलना तय है। चाहे कोई व्यक्ति फैक्ट्री में काम करता हो, ऑफिस में हो या गिग जॉब कर रहा हो, सबको इसका लाभ मिलेगा। पहले मिनिमम वेज सिर्फ कुछ शेड्यूल्ड इंडस्ट्रीज तक सीमित था, लेकिन अब सेंट्रल गवर्नमेंट एक नेशनल फ्लोर वेज सेट करेगी, जो बेसिक लिविंग स्टैंडर्ड सुनिश्चित करेगी। मतलब, कोई भी कंपनी आपको उससे कम पैसा नहीं दे सकती। साथ ही, वेज की परिभाषा भी बदली गई गई है। अब इसमें बेसिक पे, डियरनेस अलाउंस और रिटेनिंग अलाउंस को शामिल किया गया हैं और टोटल रैम्यूनरेशन का कम से कम 50% हिस्सा वेज के रूप में होना चाहिए।
इससे PF, ESIC और मैटरनिटी बेनिफिट्स जैसी चीजों का कैलकुलेशन बेहतर होगा। हालांकि हाथ में आई सैलरी थोड़ी कम हो सकती है क्योंकि रिटायरमेंट कंट्रीब्यूशन बढ़ेगा। लेकिन लॉन्ग टर्म में ये सेविंग्स को मजबूती देगा।
अब फिक्स्ड-टर्म या कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वालों के लिए ग्रेच्युटी का वेटिंग पीरियड घटाकर सिर्फ एक साल कर दिया गया है। पहले यह पांच साल था। मतलब अगर कोई वर्कर एक साल लगातार सर्विस पूरी करेगा, तो उन्हें ग्रेच्युटी मिलेगी, वो भी परमानेंट वर्कर की तरह। ये बदलाव खासकर उन लोगों के लिए गेम चेंजर साबित होगा, जो शॉर्ट-टर्म जॉब्स करते हैं, जैसे एक्सपोर्ट सेक्टर में काम करने वाले लोग। साथ ही, फिक्स्ड-टर्म वर्कर्स को लीव, मेडिकल कवर और सोशल सिक्योरिटी जैसे फायदे परमानेंट वर्कर की तरह ही मिलेंगे। ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन भी नए वेज डेफिनेशन पर बेस्ड होगा, जो 50% फ्लोर के साथ ज्यादा फायदेमंद बनेगा।
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अब हर कर्मचारी को नौकरी शुरू करते ही लिखित अपॉइंटमेंट लेटर मिलेगा। नए लेबर कोड में इसे अनिवार्य कर दिया गया है। पहले यह कई जगहों पर नहीं मिलता था। इससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी, जिससे जॉब सिक्योरिटी मिलेगी और एम्प्लॉयमेंट हिस्ट्री फॉर्मलाइज होगा। कंपनी लेटर में डेजिग्नेशन, वेज, सोशल सिक्योरिटी एंटाइटलमेंट्स, सबकुछ क्लियर लिखा करेगी। इसका फायदा यूथ और एंट्री-लेवल वर्कर्स को अधिक मिलेगा, क्योंकि इसके बाद लोन लेना हो या फिर किसी दूसरे कंपनी में नौकरी के अप्लाई करना हो, यह एक डॉक्यूमेंट प्रूफ का काम करेगा।
अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम करने वाले लोगों को भी यह लेटर दिया जाएगा। इसके साथ ही, यह एम्प्लॉयर्स को भी मदद करेगा, क्योंकि सिंगल रजिस्ट्रेशन और PAN-इंडिया लाइसेंस से कंप्लायंस आसान हो जाएगा। गिग वर्कर के लिए इस फॉर्मलाइजेशन से फ्यूचर बेनिफिट्स क्लेम करने में आसानी होगी।
अब सोशल सिक्योरिटी सबके लिए अनिवार्य हो गई है, जिसमें गिग और अनऑर्गनाइज्ड वर्कर्स भी शामिल हैं। PF, ESIC, इंश्योरेंस जैसी स्कीम्स अब पूरे देश में लागू होंगी, और आधार-लिंक्ड यूनिवर्सल अकाउंट नंबर से ये पोर्टेबल होंगी, मतलब स्टेट चेंज करो तो भी बेनिफिट्स जारी रहेंगे।
इसके तहत गिग एग्रीगेटर्स को 1-2% टर्नओवर (कैप्ड एट 5% ऑफ पेआउट्स) वेलफेयर फंड्स में कंट्रीब्यूट करना पड़ेगा । फैमिली डेफिनिशन भी बढ़ी है, जिसमें पेरेंट्स-इन-लॉ शामिल हैं, तो महिलाओं को ज्यादा डिपेंडेंट बेनिफिट्स मिलेंगे। कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को प्रिंसिपल एम्प्लॉयर से हेल्थ और सोशल सिक्योरिटी मिलेगी। MSME, प्लांटेशन, डॉक वर्कर्स सब कवर में हैं। यह वर्कर्स के रिटायरमेंट प्लानिंग को मजबूत बनाएगा और इससे एक जॉब सिक्योरिटी भी मिलेगी।
40 साल से ऊपर के हर वर्कर को सालाना फ्री हेल्थ चेकअप मिलेगा, जो एम्प्लॉयर्स को प्रोवाइड करना पड़ेगा। ये प्रिवेंटिव हेल्थकेयर को प्रमोट करता है, खासकर हैजर्डस इंडस्ट्रीज में। पहले ये लीगल रिक्वायरमेंट नहीं था, लेकिन अब माइन वर्कर्स, फैक्ट्री वाले, डॉक वर्कर्स आदि को भी इसका फायदा मिलेगा। साथ ही अब सेफ्टी कमिटी बनाई जाएगी और इसके तहत ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इसके साथ ही अब महिलाएं भी नाइट शिफ्ट्स में सेफ्टी मेजर्स के साथ काम कर सकती है, जो एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।