Asian Seed Congress 2025: राज्य में अगले दो से तीन वर्षों में 25 लाख हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए बीज उत्पादक कंपनियों से प्राकृतिक खेती के अनुरूप बीज की किस्मों के विकास की आवश्यकता है। भारत में 95 फीसदी से अधिक बीजों का उत्पादन घरेलू स्तर पर होता है, जिससे यह क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से मेक इन इंडिया को मजबूत करता है। बीज उद्योग को मजबूत करने के लिए सरकार ने बीज उद्योग के साथ मिलकर काम करने की नीति तैयार की है।
एशियन सीड कांग्रेस–2025 में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि भारत का बीज बाजार दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। यह बाजार वर्तमान में लगभग 7.8 अरब डॉलर का है और 2030 तक लगभग 19 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्राजील के बाद भारत विश्व में पांचवें स्थान पर है।
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जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब लचीले, जलवायु-प्रतिरोधी बीज- किस्मों की आवश्यकता बढ़ गई है। टिकाऊ कृषि के लिए रासायनिक निवेशों का उपयोग कम करना और नवोन्मेषी बीजों की ओर बढ़ना आवश्यक है। बीज उद्योग में पारदर्शिता लाने के लिए शासन अनिवार्य प्रमाणन, डिजिटल ट्रेसेब्लिटी, सुव्यवस्थित पंजीकरण और नकली बीजों पर कठोर दंड जैसी सुधारात्मक उपाय लागू कर रहा है। ब्लॉकचेन तकनीक बीज आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है जिसने महा कृषि एआई नीति तैयार की है और 500 करोड़ रुपये के प्रारंभिक कोष के साथ एआई आधारित कृषि ढांचा विकसित किया है। एग्रो-स्टैक, महावेध और क्रॉपसॅप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से विशाल कृषि डेटा उपलब्ध है, जिनका उपयोग कर खेती को अधिक वैज्ञानिक, पूर्वानुमान आधारित और उत्पादक बनाया जा सकता है।
पद्मश्री राहीबाई पोपेरे द्वारा देशी बीजों के संरक्षण की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाना और खेती को अधिक टिकाऊ बनाना हमारा साझा लक्ष्य है। सरकार और बीज उद्योग ने साथ मिलकर काम किया तो खेती का भविष्य सुरक्षित होगा। स्वच्छ पौध कार्यक्रम, देशी किस्मों का संरक्षण और आधुनिक तकनीक, इन तीनों के मिलन पर जोर देते हुए उन्होंने बीज उद्योग को सरकार के साथ साझेदारी के लिए आमंत्रित किया।
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कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि निकृष्ट और अवैध बीज बिक्री पर नियंत्रण के लिए आगामी बजट सत्र में नया बीज कानून लाया जाएगा ।
महाराष्ट्र में बागवानी फसलों के लिए गुणवत्तापूर्ण रोप सामग्री उपलब्ध कराने हेतु तीन क्लीन प्लांट सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। किसानों को किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराना अति आवश्यक है, बीज उद्योग से किसानों के हितों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। दाल और तिलहन उत्पादन में निजी क्षेत्र की कम भागीदारी के कारण आयात पर निर्भरता बढ़ी है, इसलिए इन फसलों में बीज कंपनियों को सक्रिय योगदान देने की जरूरत है।
बीज उत्पादन और वितरण श्रृंखला को पारदर्शी बनाने के लिए तैयार किए गए साथी पोर्टल पर सभी बीज कंपनियों की 100 फीसदी पंजीकरण अनिवार्य रहेगा। सरकार और निजी क्षेत्र से मिलकर किसानों के हित में ठोस उपाय करने का आवाहन किया। बीज उद्योग केवल लाभ कमाने का क्षेत्र नहीं, बल्कि देश और दुनिया की खाद्य सुरक्षा का आधार है।