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शांघाई सहयोग संगठन की बैठक में बोले जयशंकर, आर्थिक संबंधों का हो विस्तार

जयशंकर ने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की तीन बुराइयों से लड़ने के लिए की गई थी

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- November 18, 2025 | 10:57 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों से अनिश्चित और अस्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए व्यापक संभव आर्थिक संबंध स्थापित करने का आग्रह किया।

जयशंकर ने कहा कि भारत एससीओ में सुधार के एजेंडे का पुरजोर समर्थन करता है, और संगठित अपराध, नशीली दवाओं की तस्करी तथा साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने वाले केंद्रों की स्थापना का स्वागत करता है। जयशंकर ने कहा कि जैसे-जैसे एससीओ का विविधा के साथ विस्तार हो रहा है, इसे और अधिक लचीला और अनुकूल होना होगा। उन्होंने कहा, ‘इसके लिए संगठन की आधिकारिक भाषा के रूप में अंग्रेजी अपनाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।’ अभी यह रूसी और चीनी भाषा को अपनी आधिकारिक कार्य भाषाओं के रूप में उपयोग करता है।

मॉस्को में एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट की बैठक को संबो​धित करते हुए जयशंकर ने कहा कि मांग-पक्ष की जटिलताओं के मुकाबले आपूर्ति-पक्ष के जोखिम अ​धिक हैं, जिन्हें कम करने और विविधता लाने की तत्काल आवश्यकता है। सबसे व्यापक संभव आर्थिक संबंध स्थापित करके ही ऐसा किया जा सकता है और यह प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आप में से कई देशों के साथ भारत के मुक्त व्यापार व्यवस्था अपनाने के प्रयास प्रासंगिक हैं।’ भारत वर्तमान में भारत-यूरेशियाई इकॉनमिक यूनियन मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए बातचीत कर रहा है। इसकी प्रगति की समीक्षा करने के लिए वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल भी मॉस्को गए थे।

आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए विश्व

जयशंकर ने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की तीन बुराइयों से लड़ने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा, ‘ये खतरे बीते वर्षों में और भी गंभीर हो गए हैं। यह अनिवार्य है कि दुनिया आतंकवाद के सभी रूपों के प्रति शून्य सहिष्णुता दिखाए।’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘कोई औचित्य नहीं हो सकता, कोई मुंह नहीं मोड़ सकता और कोई लीपापोती नहीं हो सकती। भारत इसी नीति पर चल रहा है। हमें आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने का अधिकार है और हम इसका प्रयोग करेंगे।’ जयशंकर ने सोमवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी। इस साल रूसी विदेश मंत्री के साथ यह उनकी छठी बैठक है। उन्होंने कहा कि उनकी बैठक बेहद महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देश 23वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी कर रहे हैं।

एससीओ की स्थापना 2001 में शांघाई में एक शिखर सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने।

First Published : November 18, 2025 | 10:51 PM IST