प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
नवंबर आते ही पेंशनर्स के लिए लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने की मानो वार्षिक परीक्षा शुरू हो जाती है। हालांकि, तकनीकी प्रगति के चलते अब यह भी डिजिटल होने से आसान जरूर हो गया है, लेकिन फिर भी एक छोटी-सी गलती भी आपको परेशानी में डाल सकती है। कई बार छोटी-मोटी गलतियों के चलते आपका सर्टिफिकेट रिजेक्ट हो जाता है। देश के करीब 68 लाख पेंशनर्स हर साल 30 नवंबर तक ये प्रक्रिया पूरी करते हैं, ताकि दिसंबर की पेंशन समय पर मिल सके।
लेकिन गलत PPO नंबर, आधार का मिसमैच या फिंगरप्रिंट न मिल पाने जैसी मुश्किलें इस काम में रुकावट बन रही हैं। ऐसे में अचानक पेंशन रुकने का डर मन में घर करने लगता है। असलियत ये है कि इन दिक्कतों का हल बिल्कुल आसान है, बस सही कदम उठाने की देर है। यहां हम बात करेंगे यह क्यों होता है और इसे कैसे आसानी से हल किया जा सकता है।
पेंशनर्स जब ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपना DLC जेनरेट करते हैं, तो कई बार छोटी-मोटी गलतियां हो जाती हैं। कई बार ऐसा होता है कि पेंशनर्स गलत PPO नंबर डाल देते हैं। PPO यानी पेंशन पेमेंट ऑर्डर, जो आपकी पेंशन का ID होता है। अगर ये नंबर थोड़ा भी गलत हो, तो सिस्टम इसे रिजेक्ट कर देता है। इसी तरह बैंक अकाउंट या ट्रेजरी डिटेल्स में भी गड़बड़ी हो तो दिक्कत आती है।
दूसरी बड़ी समस्या आधार कार्ड से मैच न होना। नाम की गलत स्पेलिंग, जन्मतिथि में फर्क या मोबाइल नंबर मिसमैच जैसे कारण भी आपको परेशानी में डाल देते हैं। साथ ही कभी-कभी बायोमेट्रिक स्कैन में भी दिक्कत आती है। उंगलियों के निशान फीके पड़ गए हों, या उम्र की वजह से स्किन ढीली हो गई हो, तो फिंगरप्रिंट मैच नहीं करता। कई बार नेटवर्क की खराबी भी बायोमेट्रिक सबमिशन के दौरान एरर पैदा कर देती है।
फेस ऑथेंटिकेशन में तो और भी मुश्किलें हैं। अगर फोटो क्लियर न हो या कैमरा अच्छा न हो, तो रिजेक्शन हो जाता है। पेंशन का टाइप गलत बताना, जैसे सिविल या डिफेंस, ये भी वजह है।
और हां, अगर आप दोबारा शादी कर चुके हैं या री-एम्प्लॉय हो गए हैं, तो डिजिटल सुविधा ही नहीं मिलती। ऐसे मामलों में ऑफलाइन ही जाना पड़ता है। कुल मिलाकर, ये छोटी सी गलतियां पेंशनर्स को परेशान कर देती हैं, खासकर बुजुर्गों को जो टेक्नोलॉजी से कम परिचित हैं।
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अगर आपका DLC रिजेक्ट हो गया है, तो घबराएं की जरूरत नहीं है। सबसे पहले अपने पेंशन डिस्बर्सिंग एजेंसी (PDA) से संपर्क करें। ये आपका बैंक या पोस्ट ऑफिस होता है। वो बैकएंड रिकॉर्ड चेक करके बता देंगे कि दिक्कत कहां है। उसके बाद पोर्टल पर जाकर इसे ठीक करवा सकते हैं।
सबसे जरूरी है सारी डिटेल्स सही डालना। आधार से मैच करते हुए नाम, जन्मतिथि, PPO नंबर, पेंशन टाइप और बैंक डिटेल्स भरें। बायोमेट्रिक के लिए अगर फिंगरप्रिंट काम न करे, तो आईरिस स्कैन यूज करें। ये ज्यादा रिलायबल होता है। फेस ऑथेंटिकेशन के लिए बेहतर फोन के कैमरे का इस्तेमाल करें। गूगल प्ले स्टोर से ‘आधार फेस RD’ और ‘जीवन प्रमाण फेस ऐप’ डाउनलोड करें।
स्टेप बाय स्टेप:
याद रखें, गलत जानकारी डालने से ही रिजेक्शन होता है, तो दोबारा चेक करें।
DLC सबमिट करने के बाद स्टेटस चेक करना न भूलें। जीवन प्रमाण पोर्टल jeevanpramaan.gov.in पर जाएं। अपना प्रमाण ID डालें, डाउनलोड करें और देखें कि एक्टसेप्टेड है, पेंडिंग या रिजेक्टेड। डाउनलोडेड सर्टिफिकेट में ही स्टेटस लिखा होता है। सबमिशन पर ट्रांजेक्शन ID वाला SMS भी आता है।
हालांकि, इसको लेकर इस साल खास जागरूकता कैंपेन भी चल रही है। 1 नवंबर से 30 नवंबर तक 2000 जिलों और सब-डिविजनल हेडक्वार्टर्स में ये कैंप लगे हैं। 300 शहरों में होम और हॉस्पिटल विजिट भी हो रही हैं, खासकर बीमार या दिव्यांग पेंशनर्स के लिए। 19 बैंकों और 57 पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशंस की मदद से ये हो रहा है। डिटेल्स के लिए ippbonline.com देखें। ये कैंपेन पेंशनर्स को डिजिटल प्रोसेस सिखाने के लिए हैं, ताकि रिजेक्शन कम हो।