प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
पेंशन रेगुलेटर ने नए नियम लागू किए हैं। अब कॉर्पोरेट नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में नियोक्ता (एम्प्लॉयर) और कर्मचारी मिलकर, साफ और लिखित तरीके से पेंशन फंड चुन सकेंगे। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के इन नियमों का मकसद है—भ्रम दूर करना, पारदर्शिता बढ़ाना और रिटायरमेंट निवेश के फैसलों को बेहतर तरीके से व्यवस्थित करना।
कई कंपनियों को समझ नहीं आ रहा था कि NPS में पेंशन फंड और एसेट अलोकेशन तय करने में उनकी कितनी भूमिका है, खासकर तब जब कर्मचारी और नियोक्ता दोनों हिस्सेदारी देते हैं। इसी भ्रम को दूर करने के लिए PFRDA ने कहा है कि अब हर निवेश फैसला नियोक्ता और कर्मचारी की आपसी सहमति (म्यूचुअल एग्रीमेंट) से ही होगा। यानी कोई भी एकतरफा फैसला नहीं करेगा।
नियोक्ता और कर्मचारी मिलकर तय करेंगे कि कौन-सा पेंशन फंड और कौन-सी निवेश स्कीम चुनी जाए। इस फैसले को लिखित रूप में रखना जरूरी होगा। इसके अलावा, चुने गए फंड की हर साल समीक्षा भी की जाएगी, ताकि यह पता चल सके कि उसका परफॉर्मेंस और एसेट मिक्स पहले से तय शर्तों के हिसाब से है या नहीं।
PFRDA ने कंपनियों को यह भी याद दिलाया है कि रिटायरमेंट बचत लंबी अवधि का निवेश है, इसलिए छोटे-मोटे बाजार उतार-चढ़ाव के आधार पर फैसले बदलना ठीक नहीं है।
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नियोक्ता को पेंशन फंड चुनने से पहले कर्मचारियों को NPS की अलग-अलग स्कीम, उनसे जुड़े रिस्क और संभावित रिटर्न के बारे में पूरा समझाना होगा। इसका उद्देश्य है कि कर्मचारी बिना समझे किसी फैसले पर साइन न करें—खासकर तब जब योगदान दोनों तरफ से होता हो।
नियमों में यह भी साफ किया गया है कि कर्मचारी चाहें तो मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क (MSF) के तहत अतिरिक्त वॉलंटरी योगदान कर सकते हैं। इससे हर कर्मचारी अपनी रिस्क क्षमता और लंबे लक्ष्य के हिसाब से निवेश चुन सकेगा, भले ही कंपनी का कॉर्पोरेट प्लान पहले से तय संरचना में हो।
शिकायतों के लिए भी दो-स्टेप सिस्टम तय किया गया है:
कंपनियों को पॉइंट्स ऑफ प्रेजेंस (POP) के साथ लगातार संपर्क में रहना होगा और जो भी निर्णय म्यूचुअल एग्रीमेंट से लिए गए हों, उन्हें सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (CRA) को बताना होगा। CRA तभी सिस्टम में बदलाव करेगी जब कंपनी से साफ निर्देश मिलेंगे।
इन नियमों से कर्मचारियों को निवेश विकल्पों में ज्यादा स्पष्टता, ज्यादा कंट्रोल और बेहतर पारदर्शिता मिलेगी। कंपनियों के लिए भी नियम आसान होंगे, क्योंकि अब निवेश से जुड़े फैसलों की एक स्पष्ट और जिम्मेदार प्रक्रिया तय हो गई है।
कुल मिलाकर, ये बदलाव कॉर्पोरेट NPS को और ज्यादा सहयोगी बनाते हैं और रिटायरमेंट सुरक्षा को मजबूत करने का लक्ष्य पूरा करते हैं।