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Meta-WhatsApp डेटा साझेदारी मामले में सीसीआई ने एनसीएलएटी से मांगा स्पष्टीकरण

न्यायाधिकरण ने कंपनियों द्वारा फैसले के गोपनीय हिस्सों को संपादित करने की मांग वाली एक अलग याचिका पर भी नोटिस जारी किया

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- November 18, 2025 | 11:00 PM IST

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील पंचाट (एनसीएलएटी) के समक्ष एक आवेदन दायर कर उसके 4 नवंबर के फैसले पर स्पष्टीकरण मांगा है। इस फैसले में नियामक के उस निर्देश को पलट दिया गया था जिसमें मेटा और व्हाट्सऐप को विज्ञापन के मकसद से पांच साल तक अन्य मेटा समूह कंपनियों के साथ उपयोगकर्ता डेटा साझा करने से रोका गया था।

अपने आवेदन में, सीसीआई ने अपील पंचाट से पूछा है कि क्या गैर-विज्ञापन डेटा की साझेदारी के लिए फैसले में जिन गोपनीयता सुरक्षा उपायों पर जोर दिया गया था, वे विज्ञापन के लिए उपयोग किए जाने वाले डेटा पर भी लागू होने चाहिए या नहीं खासकर फैसले में उपयोगकर्ता की सहमति और गोपनीयता पर दिए गए महत्त्व को देखते हुए।

सीसीआई ने एनसीएलएटी से यह जानना चाहा है कि क्या मेटा की डेटा साझेदारी चाहे वह विज्ञापनों के लिए हो या अन्य उद्देश्यों के लिए, उसमें समान उपयोगकर्ता गोपनीयता सुरक्षा, पारदर्शिता और वास्तविक उपयोगकर्ता सहमति होती है या नहीं।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और तकनीकी सदस्य अरुण बारोका की अध्यक्षता वाले पीठ ने मेटा और व्हाट्सऐप को अपनी आपत्तियां दर्ज करने के लिए समय दिया और मामले को 2 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया। न्यायाधिकरण ने कंपनियों द्वारा फैसले के गोपनीय हिस्सों को संपादित करने की मांग वाली एक अलग याचिका पर भी नोटिस जारी किया।

इस साल नवंबर में, एनसीएलएटी ने विज्ञापन के लिए डेटा साझेदारी पर सीसीआई द्वारा लगाई गई पांच साल की रोक रद्द कर दी थी लेकिन नियामक द्वारा लगाए गए 213.14 करोड़ रुपये के जुर्माने और अन्य निर्देशों को बरकरार रखा था। दो-सदस्यीय पीठ ने सीसीआई के इस निष्कर्ष को भी खारिज कर दिया था कि मेटा ने अपने ऑनलाइन विज्ञापन कारोबार को बढ़ावा देने के लिए मेसेजिंग बाजार में अपने दबदबे का दुरुपयोग किया।

First Published : November 18, 2025 | 10:55 PM IST