प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिका द्वारा कई भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत भारी भरकम शुल्क लगाए जाने के बीच घरेलू रत्न व आभूषण निर्यात अक्टूबर में सालाना आधार पर 30.6 प्रतिशत गिरकर 21.7 लाख डॉलर दर्ज हुआ। रत्न व आभूषण निर्यात परिषद (जीजेईपीसी) के चेयरमैन किरीट भंसाली ने बाहरी चुनौतियों के बावजूद भविष्य के प्रति सकारात्मक नजरिया पेश किया। उन्होंने वित्त वर्ष 26 में रत्न व आभूषण का निर्यात 30 से 35 अरब डॉलर होने की उम्मीद जताई जबकि यह बीते वर्ष 29.8 अरब डॉलर था।
भंसाली ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने शुल्क मुद्दों के बावजूद प्राकृतिक हीरों के लिए अपना लक्ष्य बनाए रखा है; मांग अच्छी है। प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों का खंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इसलिए नौकरी पर कोई सीधा असर नहीं पड़ रहा है। वाणिज्य मंत्रालय और प्रधानमंत्री से भी मिली जानकारी के अनुसार यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता पाइपलाइन में है और यह जल्द होंगे। मजबूत बातचीत जारी है और भारत अपनी शर्तों पर समझौते चाहेगा।’ उन्होंने आशा जताई कि समझौते इस महीने हो सकते हैं।
रत्न और आभूषण भारत से निर्यात की जाने वाली शीर्ष पांच वस्तुओं में से एक है, जिसकी देश के कुल निर्यात में लगभग 7 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारत हीरे, सोना, चांदी, प्लेटिनम के साथ-साथ नकली आभूषणों का भी निर्यात करता है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में रत्न व आभूषण का निर्यात 10 प्रतिशत से अधिक से गिर गया है। इसका मुख्य कारण भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं हैं और नवीनतम कारण अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियां हैं। परिषद के आंकड़ों के अनुसार कुल निर्यात (अप्रैल-अक्टूबर) 16.26 अरब डॉलर रहा, जो सालाना आधार परर 2.7 प्रतिशत कम है।