प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने आटा मिल मालिकों को राहत दी है। उसने विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से अनुरोध किया है कि वह 10 लाख टन की सीमा के साथ गेहूं उत्पादों का निर्यात खोलने के मिल मालिकों के आग्रह पर उचित कार्रवाई करे। डीजीएफटी वाणिज्य मंत्रालय के अधीन काम करता है। सूत्रों के अनुसार यह अनुरोध गेहूं और गेहूं उत्पादों के अधिशेष उत्पादन तथा उनकी पर्याप्त घरेलू उपलब्धता को देखते हुए किया गया है।
डीजीएफटी को लिखे पत्र में मंत्रालय ने कहा कि आटा मिलों ने मौजूदा अधिशेष और मजबूत उत्पादन परिदृश्य के कारण निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया है। इसलिए इस बारे में जो उचित समझें, वह आवश्यक कदम उठाया जा सकता है। गेहूं से बने उत्पादों में चोकर (ब्रान), आटा, मैदा, सूजी, रवा और मैकरोनी आदि शामिल हैं।
भारत गेहूं का प्रमुख उत्पादक होने के साथ-साथ वैश्विक बाजार में गेहूं उत्पादों का बड़ा निर्यातक भी है। इन बाजारों में यूरोपीय, एशियाई देश और अफ्रीका भी शामिल हैं। भारत ने कुछ साल पहले न केवल गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, बल्कि घरेलू उपभोक्ताओं की रक्षा के लिए इसके उत्पादों के निर्यात पर भी अंकुश लगा दिया था। हालांकि, कुछ महीने पहले भारत ने गेहूं के चोकर के निर्यात की अनुमति दे दी थी, लेकिन गेहूं के चोकर के स्थान पर पशु आहार के लिए डीडीजीएस (एथनॉल उत्पादन प्रक्रिया का एक सह उत्पाद ) के व्यापक उपयोग के कारण इसकी कीमतों में भारी गिरावट आई थी।
भारत में इस साल करीब 11.75 करोड़ टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 3.8 प्रतिशत अधिक है। रबी सीजन में गेहूं की बोआई की शुरुआत अच्छी हुई है और अनुकूल शुरुआती मौसम के कारण अगले साल भी गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि की उम्मीद है। इस सीजन में 7 नवंबर तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 129 प्रतिशत अधिक क्षेत्र में करीब 22 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया जा चुका है। पूरे सीजन में गेहूं की बोआई करीब 312.3 लाख हेक्टेयर में होती है। 16 अक्टूबर तक भारत के केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल का कुल भंडार करीब 666.5 लाख टन था जबकि बफर स्टॉक की आवश्यकता 307.7 लाख टन रहती है।