अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) जल्द ही भारत के राष्ट्रीय लेखा डेटा पर्याप्तता के लिए अपनी ‘सी’ रेटिंग को अपग्रेड करने वाला है। यह पहल ऐसे समय में की जा रही है जब केंद्र सरकार फरवरी 2026 में खुदरा महंगाई और आर्थिक उत्पादन पर नजर रखने के लिए आंकड़ों की नई श्रृंखला जारी करेगी।
आईएमएफ के रुख में यह बदलाव संभवत: उसके कर्मचारियों और भारतीय अधिकारियों की हालिया बातचीत के कारण हुआ है। इसमें भारत के वास्तविक क्षेत्र के आंकड़ों में हो रहे सुधारों के साथ-साथ आंकड़ों की मौजूदा श्रृंखलाओं में आईएमएफ के डेटा पर्याप्तता आकलन में उठाए गए मुद्दों पर भी जोर दिया गया था।
आईएमएफ ने भारत के लिए इस सप्ताह जारी एक रिपोर्ट में लगातार दूसरे साल अपने डेटा पर्याप्तता आकलन में भारत के राष्ट्रीय लेखा डेटा को ‘सी’ रेटिंग दी है। यह ए से डी तक के चार स्तर वाले पैमाने में दूसरा सबसे निचला स्तर है जो यह दर्शाता है कि आंकड़ों में कुछ कमियां हैं जिससे निगरानी कुछ हद तक बाधित होती है।
आईएमएफ के बोर्ड में कार्यकारी निदेशक ऊर्जित पटेल एवं अन्य अधिकारियों ने भी 21 नवंबर को एक बयान में कहा था कि वे डेटा पर्याप्तता आकलन के लिए पिछले परामर्श के बाद भारत के आधिकारिक आंकड़ों के लिए आईएमएफ की बदलाव सूची की सराहना करते हैं। उनका यह बयान भी इस रिपोर्ट में शामिल है।
उन्होंने कहा था कि डेटा पर्याप्तता आकलन संबंधी रेटिंग को फरवरी 2026 में प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय लेखा श्रृंखला के तहत अपग्रेड किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि कर्मचारियों ने पाया कि भारत के सरकारी आंकड़ों में कुछ कमियां होने के बावजूद वे निगरानी के लिए पर्याप्त हैं।
आईएमएफ के कर्मचारियों ने माना कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) निर्धारित करने के तरीके को अपग्रेड किए जाने के साथ ही राष्ट्रीय लेखा बेंचमार्क में बदलाव के लिए काम जारी है। साथ ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के तहत आने वाली सभी वस्तुओं और उनके भारांश में भी बदलाव हो रहा है ताकि मौजूदा उपभोग पैटर्न को बेहतर ढंग से दिखाया जा सके।