India US trade deal: भारत को उम्मीद है कि साल के अंत तक अमेरिका के साथ एक संरचनात्मक व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है। दोनों पक्षों ने भारत पर लगाए गए जवाबी शुल्क सहित ज्यादातर लंबित मामलों को सुलझा लिया है।
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने आज कहा कि भारतीय निर्यात के लिए व्यापार करार तभी ‘अर्थपूर्ण’ होगा जब दोनों तरह के शुल्क यानी 25 फीसदी जवाबी शुल्क और रूसी तेल की खरीद से जुड़ा 25 फीसदी के अतिरिक्त शुल्क का समाधान किया जाए। ये शुल्क अगस्त से प्रभावी हुए थे।
उद्योग संगठन फिक्की के 98वें वार्षिक आम बैठक में अग्रवाल ने कहा, ‘हम व्यापार करार करने के करीब हैं। हमने अधिकांश मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की है। अंतिम निर्णय किसी भी समय लिया जा सकता है। वार्ताकार के स्तर पर बातचीत के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है। बहुत कम मुद्दे हैं और उनमें से कुछ पर राजनीतिक फैसला लेने की जरूरत है।’
इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2025 में सर्दियों तक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार करार (द्विपक्षीय व्यापार समझौता) के पहले चरण को अंतिम रूप देने के इरादे की घोषणा की थी।
दोनों पक्ष वर्तमान में दो समानांतर ट्रैक पर चल रहे हैं। एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार करार है, जिसे पूरा होने में समय लगेगा। दूसरा, अमेरिकी के साथ संरचनात्मक व्यापार समझौते पर लंबी बातचीत की गई है जो भारतीय निर्यातकों पर 50 फीसदी जवाबी शुल्क के बोझ को दूर करेगा।
हालांकि अग्रवाल ने कहा कि भारत अपनी संवेदनशीलता और अपने गैर-समझौतावादी रुख पर अडिग रहेगा। दोनों पक्षों के बीच नियमित रूप से बातचीत चल रही है। मार्च में वार्ता शुरू हुई और अभी तक लगभग आधा दर्जन दौर की वार्ता हो चुकी है, जिसमें वाशिंगटन में 15-17 अक्टूबर को अंतिम अनौपचारिक दौर था। अमेरिका के अधिकारियों की एक टीम आगे की चर्चा के लिए नई दिल्ली की यात्रा कर सकती है।
अग्रवाल ने कहा कि जवाबी शुल्क और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में विफल रहने के बावजूद, भारत के अमेरिका को निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 10 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। उद्योग शुल्क से निपटने के लिए विविधीकरण की दिशा में काम कर रहा है।
सोने का आयात तीन गुना होने और निर्यात में 14 महीने की तेज गिरावट के कारण अक्टूबर में भारत का वस्तु व्यापार घाटा रिकॉर्ड उच्च स्तर 41.68 अरब डॉलर तक पहुंच गया। देश का आयात अक्टूबर में 16.64 फीसदी की वृद्धि के साथ 76.06 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया जबकि भारत से बाहर जाने वाले माल की शिपमेंट में 11.8 फीसदी की गिरावट आई और यह 34.38 अरब डॉलर रहा।
अग्रवाल के मुताबिक व्यापार घाटा चिंताजनक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘अगर आप गहराई से देखें तो अक्टूबर में व्यापार घाटे के प्रमुख कारकों में से एक कीमती धातु का आयात था। दूसरा, हमारे पास तुलनात्मक रूप से कम ऊर्जा कीमतें थीं जो व्यापार घाटे को सकारात्मक पक्ष पर प्रभावित कर रही थीं लेकिन बहुत अधिक कीमती धातु की कीमतों ने व्यापार घाटे को उच्च स्तर पर प्रभावित किया।
इसलिए हम जिस आयात मिश्रण के साथ व्यापार घाटा देख रहे हैं, मुझे नहीं लगता कि हम चिंताजनक क्षेत्र में हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत और यूरोपीय संघ प्रस्तावित व्यापार समझौते के अंतिम चरण में हैं और जनवरी 2026 तक समझौते को अंतिम रूप देने की उम्मीद है।