देश में वायु प्रदूषण बड़ी समस्या बनता जा रहा है। हालात कितने खराब हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले एक दशक के दौरान किसी भी बड़े शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुरक्षित स्तर हासिल नहीं कर सका है। साल 2015 से 2025 के 20 नवंबर तक 11 शहरों के एक्यूआई के अध्ययन के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सबसे खराब स्थिति वाले केंद्रों में है।
अध्ययन में यह भी पता चला है कि मौसमी घटनाएं विशेष रूप से सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्रों में लगातार सर्दियों के दौरान धुंध को बढ़ा रही हैं। क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला कि कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़ और विशाखापत्तनम जैसे नगरों में पिछले एक दशक में मध्यम लेकिन असुरक्षित एक्यूआई दर्ज किया गया। महानगरों की बात करें तो बेंगलूरु में सबसे साफ हवा रही, लेकिन इसका दशकीय औसत एक्यूआई ‘अच्छी’ श्रेणी से ऊपर रहा। कुछ शहरों में 2020 के बाद एक्यूआई में सुधार हुआ परंतु कोई भी शहर स्वास्थ्यवर्धक वायु गुणवत्ता हासिल करने के करीब नहीं पहुंच सका।
अध्ययन से पता चलता है कि दिल्ली पूरे दशक में सबसे अधिक प्रदूषित शहर बना रहा। देश के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों के लखनऊ,वाराणसी और अहमदाबाद जैसे शहरों में 2015 से 2025 (20 नवंबर तक) के बीच लगातार अधिक और गंभीर एक्यूआई रहा। वर्ष 2025 में पराली की घटनाओं में कमी के बावजूद दिल्ली की हवा में सुधार नहीं हुआ। इससे पता चलता है कि स्थानीय प्रदूषण स्रोत मौसमी घटनाओं के साथ मिलकर यहां धुंध का कारण बन रहे हैं। क्लाइमेट ट्रेंड्स ने कहा कि दशक भर के डेटा से पता चलता है कि भारत की वायु प्रदूषण की समस्या शहरीकरण, यातायात, उद्योग और मौसमी कारकों से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्तर की संरचनात्मक घटना बनी हुई है, जिसके लिए व्यवस्थित और विज्ञान आधारित नीतिगत प्रयासों की जरूरत है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और कारोबारी नगरी मुंबई में वायु प्रदूषण गंभीर समस्या बनता जा रहा है। मायानगरी में जहां बीएमसी समेत तमाम एजेंसियां प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर सख्ती बरतने लगी हैं। वहीं दिल्ली में विपक्ष ने नेताओं ने एहतियाती उपाय बढ़ाने तथा प्यूरीफायर जैसे संबंधित उत्पादों को सस्ता करने के कदम उठाने पर जोर दिया है।
निर्माण स्थलों का निरीक्षण करने और दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए बंबई उच्च न्यायालय प्रदूषण से निपटने के लिए 5 सदस्यीय स्वतंत्र समिति का गठन किया है। मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में वृद्धि के मद्देनजर बीएमसी पहले ही 53 निर्माण स्थलों पर काम रोकने के लिए नोटिस जारी कर चुकी है।
बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अनखड के पीठ द्वारा गठित समिति में बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल होंगे।