सब्जियों और अनाज के दामों में बढ़ोतरी की वजह से महंगाई के दबाव ने पिछले महीने के दौरान इक्विटी बाजार पर असर डाला है। एसीई इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 में दो प्रतिशत तक की गिरावट आई है। मार्च के निचले स्तर के बाद की तेजी में 13 प्रतिशत की कमी आई है।
आम तौर पर निवेशक दैनिक उपभोक्ता वस्तु (एफएमसीजी) कंपनियों के शेयरों को रक्षात्मक दांव मानते हैं। इससे गिरते बाजार में वे अपना दबाव कर लेते हैं। हालांकि इस बार एफएमसीजी क्षेत्र शीर्ष घाटे वाले क्षेत्रों में रहा है। पिछले एक महीने में निफ्टी एफएमसीजी में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। बैंक और तेल एवं गैस सूचकांक पिछड़ने वाले अन्य क्षेत्र थे। विश्लेषकों को आगे चलकर निकट अवधि में इस क्षेत्र के लिए कोई राहत नहीं दिख रही है।
Also read: FMCG का ग्रामीण बिक्री पर जोर
ब्रोकर फर्म प्रभुदास लीलाधर उपभोक्ता क्षेत्र के संबंध में ‘अंडरवेट’ बनी है क्योंकि उसे लगता है कि अनाज और दलहन जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थ निकट अवधि में कोई राहत पेश नहीं करेंगे।
ब्रोकरेज फर्म ने एक हालिया नोट में कहा है कि फसलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी और घरेलू स्तर पर धीमी बोआई की वजह से संबंधित कंपनियों में लागत का दबाव अधिक रहेगा। इसके अलावा अधिक मूल्यांकन और मांग के सुधार में देरी के आसार हमें इस क्षेत्र के संबंध में सतर्क कर रहे हैं।
जुलाई में देश के प्रमुख उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर तीन महीने तक छह प्रतिशत के ऊपरी सहनशीलता स्तर से कम रहने के बाद 15 महीने के अधिकतम स्तर 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई। खाद्य श्रेणी में महंगाई दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 10.6 प्रतिशत हो गई।
यह वार्षिक आधार पर सब्जियों के दामों में 37 प्रतिशत की वृद्धि, दलहन में 13.3 प्रतिशत की वृद्धि और अनाज में 13.04 प्रतिशत की वृद्धि से प्रेरित रही।
कच्चे तेल और पाम तेल की कीमतों में भी जून के निचले स्तर की तुलना में 20 प्रतिशत तक की उछाल देखी गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी ओर से वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 24) के लिए सीपीआई आधारित महंगाई दर का लक्ष्य पहले के अनुमानित स्तर 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है।
Also read: FMCG: महंगाई हुई कम, रोजाना यूज वाली वस्तुओं की बिक्री को मिली दम
एचयूएल, आईटीसी, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, डाबर इंडिया, गोदरेज कंज्यूमर, टाटा कंज्यूमर और नेस्ले इंडिया के शेयरों में एक महीने के दौरान 0.2 से 7.4 प्रतिशत की गिरावट के कारण निवेशकों ने संबंधित शेयरों से दूरी बना ली है।
आनंद राठी इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के शोध विश्लेषक अजय ठाकुर ने कहा कि हमें उम्मीद है कि निकट भविष्य में अनाज आधारित खाद्य महंगाइ्र का असर बिस्कुट और नूडल्स से जुड़ी खाद्य कंपनियों पर पड़ेगा। इसलिए, हम निकट अवधि में ब्रिटानिया और नेस्ले इंडिया जैसी कंपनियों के मार्जिन पर असर देख सकते हैं।
अगस्त में कुल बारिश दीर्घावधि के औसत (एलपीए) से छह प्रतिशत कम रही है। विश्लेषकों का कहना है कि अल नीनो का प्रभाव आने वाले महीनों में मांग को प्रभावित कर सकता है। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक प्रीयम टोलिया ने कहा कि हालांकि वॉल्यूम वृद्धि में लगातार दो तिमाहियों में सुधार देखा गया है, लेकिन यह अब भी नरम बनी हुई है। चूंकि अगस्त में अधिकांश दिन शुष्क रहे, इसलिए हमें लगता है कि ग्रामीण मांग में सुधार की रफ्तार सीमित रहेगी।