पहली तिमाही के नतीजों के बाद अब एफएमसीजी कंपनियों की नजर ग्रामीण बिक्री में सुधार और बिक्री वृद्धि पर टिकी हुई है। अप्रैल-जून तिमाही के नतीजों के बाद अपनी प्रतिक्रियाओं में एफएमसीजी कंपनियों ने ग्रामीण मांग में सुधार के संकेतों पर चर्चा की है। ग्रामीण मांग मुद्रास्फीति की वजह से करीब एक साल तक प्रभावित रही।
ब्रोकरों का मानना है कि वर्ष की दूसरी छमाही पर नजर रखे जाने की जरूरत होगी। ऐक्सिस सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘मुद्रास्फीति में नरमी, ऊंचे सरकारी खर्च और बढ़ते शहरी प्रेषण से ग्रामीण क्षेत्रों में आगामी वृद्धि की रफ्तार तय होगी। हालांकि अल नीनो के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत होगी।’
ब्रोकिंग फर्म सेंट्रम ने भी अपनी रिपोर्ट में सुस्त ग्रामीण सुधार पर नजर बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी वृद्धि और निजी खपत में तेजी से संकेत मिलता है कि कमजोर ग्रामीण मांग का खराब दौर समाप्त हो रहा है और ग्रामीण बाजार में अब सुधार आने की संभावना है।
कंपनियों ने जून तिमाही में कीमत कटौती का सहारा लिया, क्योंकि मुद्रास्फीति में नरमी आने से मार्जिन सुधार को बढ़ावा मिला। आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘हमें मार्जिन में लगातार सुधार आने की संभावना है। हालांकि कीमतों में उतार-चढ़ाव से अल्पावधि में राजस्व वृद्धि पर दबाव बना रहेगा।
कंपनियों ने उत्पादन लागत में नरमी का कुछ लाभ ग्राहकों को देने के प्रयास में कीमतें घटानी शुरू की हैं, लेकिन बिक्री धीरे धीरे बढ़ने की संभावना है।’ ऐक्सिस सिक्योरिटीज ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उनके कवरेज के दायरे वाली कई कंज्यूमर स्टैपल कंपनियों ने ग्रामीण सुधार के संकेत दिए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भविष्य में ग्रामीण इलाकों में भी बिक्री वृद्धि में तेजी आएगी।’ हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) ने वित्तीय परिणाम के बाद अपने आउटलुक में बारिश आधारित जोखिम की वजह से अनिश्चित अल्पावधि परिचालन परिदृश्य की आशंका जताई है।
एचयूएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी रितेश तिवारी ने कंपनी के वित्तीय नतीजों के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘हमें मॉनसून की चाल और फसल तथा ग्रामीण मांग पर अल नीनो के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत होगी।’
अगली कुछ तिमाहियों के लिए परिदृश्य पर चर्चा करते हुए तिवारी ने अनुमान जताया कि कीमत वृद्धि कम होगी।
एचयूएल का मानना है कि यदि जिंस कीमतें मौजूदा स्तरों पर बनी रहती हैं तो उसकी कीमत वृद्धि अगली कुछ तिमाहियों में लगभग सपाट रहेगी या इसमें मामूली कमी आएगी। जून तिमाही के दौरान सकल मार्जिन बढ़ा, क्योंकि उत्पादन सामग्री की कीमतों में गिरावट आई।