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Musk की Starlink से Jio-Airtel की डील: क्या बदलेगा भारत का सैटेलाइट इंटरनेट परिदृश्य?

स्टारलिंक ने अब तक 20 से अधिक बाजारों में स्थानीय टेलीकॉम और ब्रॉडबैंड कंपनियों के साथ साझेदारी की है।

Last Updated- March 14, 2025 | 7:07 AM IST
Starlink
Representative Image

भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस को लेकर अब तक रिलायंस जियो और भारती एयरटेल एक तरफ थे और ईलॉन मस्क (Elon Musk) की स्टारलिंक दूसरी तरफ। जियो और एयरटेल का तर्क था कि चूंकि स्टारलिंक शहरी इलाकों में ग्राहकों को सेवा देने की योजना बना रही है, इसलिए उसे स्पेक्ट्रम की नीलामी के जरिए ही मंजूरी मिलनी चाहिए। वहीं, स्टारलिंक बिना नीलामी यानी एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट चाहती थी। लेकिन हाल ही में इस पूरे परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखने को मिला।

इस हफ्ते, सुनील भारती मित्तल की अगुवाई वाली एयरटेल ने मस्क की स्पेसएक्स के साथ साझेदारी कर भारत में स्टारलिंक सेवा लाने की घोषणा की। यह दिलचस्प इसलिए भी है क्योंकि मित्तल के भारती ग्रुप की कंपनी वनवेब भी इसी सेक्टर में प्रमुख खिलाड़ी है।

इस घोषणा के ठीक एक दिन बाद, रिलायंस जियो ने भी मस्क की कंपनी के साथ मिलकर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने की घोषणा कर दी। हालांकि, भारत में स्टारलिंक सेवा शुरू करने के लिए सरकार की सुरक्षा संबंधी मंजूरी अभी बाकी है।

सरकार ने पहले ही सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम के एडमिनिस्ट्रेटिव आवंटन का फैसला कर लिया है, लेकिन अभी तक इसकी कीमत तय करने का फॉर्मूला सामने नहीं आया है।

बार्सिलोना टेलीकॉम समिट में इस महीने की शुरुआत में सुनील मित्तल ने कहा था कि यह प्रतिस्पर्धा का समय नहीं है, बल्कि संसाधनों के मिलकर उपयोग से ही आगे बढ़ा जा सकता है। अब, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की वनवेब के स्टारलिंक के साथ समझौते के बाद उन्होंने फिर से यही बात दोहराई। मित्तल ने कहा कि वह लगातार टेलीकॉम कंपनियों और सैटेलाइट सेवा प्रदाताओं को साथ काम करने के लिए कह रहे थे, ताकि दूर-दराज के इलाकों में कनेक्टिविटी पहुंचाई जा सके। अब ये नए समझौते उसी दिशा में कदम हैं।

क्या यह साझेदारी मुश्किलें खड़ी करेगी?

हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह साझेदारी उतनी सहज नहीं होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी, जिन्होंने इस क्षेत्र में काम किया है, ने कहा कि “इस तरह की साझेदारी स्टारलिंक को मजबूत कर सकती है, जो सीधे उन्हीं ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है, जिन्हें टेलीकॉम कंपनियां अपनी ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए टारगेट कर रही हैं। इससे विरोधाभासी स्थिति पैदा हो सकती है और एक विदेशी दिग्गज को मजबूत किया जा रहा है।”

दुनिया के अन्य देशों में कैसा है स्टारलिंक का मॉडल?

स्टारलिंक ने अब तक 20 से अधिक बाजारों में स्थानीय टेलीकॉम और ब्रॉडबैंड कंपनियों के साथ साझेदारी की है। उदाहरण के लिए:

नाइजीरिया में, स्टारलिंक ने FiberOne के साथ अपनी सैटेलाइट सेवाओं के लिए करार किया है। केन्या में, सरकारी टेलीकॉम कंपनी Safaricom के साथ बातचीत चल रही है। जापान में, स्टारलिंक ने KDDI के साथ साझेदारी की है ताकि सैटेलाइट से मोबाइल कनेक्टिविटी दी जा सके।
इन देशों में टेलीकॉम कंपनियों ने स्टारलिंक को अपनी मौजूदा सेवाओं के पूरक के रूप में देखा है। लेकिन भारत में मामला अलग है, क्योंकि रिलायंस जियो और भारती एयरटेल की वनवेब जैसी कंपनियां स्टारलिंक के सीधे प्रतिस्पर्धी हैं। ऐसे में यह साझेदारी कितनी कारगर होगी, इस पर सवाल बने हुए हैं।

अमेरिकी अरबपति Elon Musk को आखिरकार भारत में Starlink लॉन्च करने का रास्ता मिल गया है। इस बीच, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump कई बार भारत को “टैरिफ किंग” कह चुके हैं और उन्होंने कई प्रोडक्ट्स पर रिप्रोसिप्रोकल टैरिफ लगाने की धमकी भी दी है।

मस्क लंबे समय से Starlink को भारत में लाने का इंतजार कर रहे थे। अब उनकी कंपनी को Jio और OneWeb के साथ साझेदारी में सरकार से मंजूरी मिल गई है, जिससे जल्द ही भारतीय बाजार में प्रवेश करना आसान हो सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, सभी सरकारी मंजूरियों के बाद भी Starlink को भारत में सेवा शुरू करने में कम से कम 6 महीने लग सकते हैं।

भारत का बड़ा बाजार, अमेरिका को भी पीछे छोड़ेगा

विश्लेषकों का मानना है कि मस्क की भारत में यह सफलता बाजार की अपार संभावनाओं से जुड़ी है। अगर Fixed Wireless Access (FWA) बाजार को देखें, तो यह सैटेलाइट ब्रॉडबैंड से काफी हद तक मिलता-जुलता है। Counterpoint Research के अनुसार, 2027 तक भारत में FWA के 30 मिलियन (3 करोड़) सब्सक्राइबर्स हो सकते हैं, जबकि अभी यह संख्या सिर्फ 5-6 मिलियन है। इस मामले में भारत अमेरिका (15 मिलियन) को भी पीछे छोड़ सकता है।

इस सेगमेंट के ग्राहक मोबाइल डेटा यूजर्स की तुलना में 6-10 गुना ज्यादा डेटा इस्तेमाल करते हैं। वहीं, फाइबर-टू-द-होम (FTTH) यूजर्स की तुलना में इनकी डेटा खपत लगभग दोगुनी होती है।

स्पेसएक्स की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस Starlink ने 2024 के अंत तक 4.6 मिलियन सब्सक्राइबर हासिल कर लिए हैं। यह 2022 के मुकाबले करीब 5 गुना बढ़ोतरी है। कंपनी का लक्ष्य है कि 2030 तक 20 मिलियन सब्सक्राइबर तक पहुंचे और $15.8 बिलियन (करीब ₹1.3 लाख करोड़) का रेवेन्यू हासिल करे।

भारत में Starlink की एंट्री कितनी मजबूत?

भारत में Starlink की सफलता इसकी रणनीति और कीमत पर निर्भर करेगी। टेलीकॉम सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के सामने कंपनी को बड़ी चुनौती मिलेगी। दोनों कंपनियों ने कम कीमतों के दम पर बाजार में पकड़ बनाई है और वे इतनी आसानी से Starlink को स्पेस नहीं देंगे।

उद्योग से जुड़े जानकारों का मानना है कि Starlink भारत में प्रीमियम सेगमेंट के ग्राहकों पर ध्यान देगा। टेलीकॉम विशेषज्ञों के मुताबिक, फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) ग्राहकों से ₹500 से ₹1000 प्रति माह तक की कमाई हो सकती है। अगर Starlink 10 लाख ग्राहक भी जोड़ लेता है, तो इसका सालाना रेवेन्यू ₹12,000 करोड़ तक पहुंच सकता है।

Starlink के लिए भारत में अपनी डिस्ट्रीब्यूशन व्यवस्था बनाना महंगा पड़ सकता है। इसलिए अगर वह Jio और Airtel के साथ पार्टनरशिप करता है, तो उसे भारी निवेश करने की जरूरत नहीं होगी। इससे कंपनी को भारत में तेज़ी से अपनी पकड़ बनाने का मौका मिल सकता है।

भारत में टेलीकॉम कंपनियां पहले ही 4G और 5G में कम कीमत वाले प्लान देकर बड़ी सफलता हासिल कर चुकी हैं। अब यही रणनीति वे सैटेलाइट ब्रॉडबैंड में भी अपना सकती हैं। फिलहाल, Jio और Airtel फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) के तहत ₹399 प्लस टैक्स में अनलिमिटेड हाई-स्पीड डेटा दे रही हैं। ऐसे में वे सैटेलाइट ब्रॉडबैंड में भी इसी तरह के किफायती प्लान ला सकती हैं।

साथ ही, ये कंपनियां सैटेलाइट बैंडविड्थ का इस्तेमाल अपने टावरों के बैकहॉल के तौर पर कर सकती हैं, जिससे ज्यादा ग्राहकों को बेहतर इंटरनेट सर्विस मिल सके।

दूसरी ओर, Elon Musk की Starlink को भारत में ग्राहकों का नया नेटवर्क तैयार करना होगा। हालांकि, कंपनी के पास 7,000 से ज्यादा सैटेलाइट्स का बड़ा नेटवर्क है, जिससे उसे भारत में अच्छा बैंडविड्थ मिल सकता है।

Starlink दुर्गम इलाकों में भी इंटरनेट सेवा पहुंचाने की क्षमता रखती है। इसका इस्तेमाल पहाड़ी और दूरदराज के गांवों, जंगलों, रेगिस्तानों, समुद्री जहाजों और एयरलाइंस को जोड़ने के लिए किया जा सकता है।

मोबाइल ऑपरेटरों का प्रतिनिधित्व करने वाली ग्लोबल संस्था GSMA की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सिर्फ 1% आबादी ही अभी तक मोबाइल नेटवर्क से अछूती है। यह आंकड़ा करीब 1.2 करोड़ लोगों का है।

हालांकि, टेलीकॉम कंपनियों का मानना है कि यह ग्राहक वर्ग सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है, जब तक कि सरकार इसकी सब्सिडी नहीं देती।

वहीं, अब Elon Musk, सुनील भारती मित्तल और मुकेश अंबानी के ताजा कदमों से क्या भारत में कनेक्टिविटी का नया दौर शुरू होगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम का विवाद: कैसे बदला पूरा खेल?

  • 2021: दूरसंचार विभाग (DoT) ने ट्राई को सैटेलाइट आधारित कम्युनिकेशन के लिए किन स्पेक्ट्रम बैंड्स की नीलामी होनी चाहिए, इस पर सुझाव मांगा।
  • 2022: रिलायंस जियो ने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग की। सुनील मित्तल ने इसका विरोध किया और स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन की वकालत की। स्टारलिंक, अमेजन का कुइपर जैसे कंपनियों ने भी प्रशासनिक आवंटन का समर्थन किया।
  • 2023: संसद ने टेलीकम्युनिकेशन एक्ट 2023 पास किया, जिसमें GMPCS लाइसेंस के तहत स्पेक्ट्रम का प्रशासनिक आवंटन तय किया गया।
  • 2024: DoT ने ट्राई को फिर से रेफरेंस भेजा, जिसके बाद ट्राई ने स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन सर्विसेज के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन पर कंसल्टेशन पेपर जारी किया।
  • अक्टूबर 2024: इंडियन मोबाइल कांग्रेस (IMC) में सुनील मित्तल ने अपना रुख बदला। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां शहरी क्षेत्रों में सर्विस देना चाहती हैं, उन्हें टेलीकॉम कंपनियों की तरह स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान करना चाहिए। इससे जियो और एयरटेल के साथ उनका विवाद खत्म हुआ।
    अक्टूबर 2024: संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने IMC में कहा कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं हो सकती, क्योंकि यह वैश्विक मानकों के अनुसार शेयर्ड स्पेक्ट्रम है।
  • नवंबर 2024: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए।
  • फरवरी 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका में Elon Musk से मिले।
  • मार्च 2025: स्टारलिंक ने एयरटेल और रिलायंस जियो के साथ करार किया, जिससे ये कंपनियां उनकी सर्विस डिस्ट्रीब्यूट कर सकें। हालांकि, स्टारलिंक अभी भी भारत में सेवाएं शुरू करने के लिए DoT की मंजूरी का इंतजार कर रही है।

First Published - March 14, 2025 | 7:07 AM IST

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