भारतीय पारंपरिक रूप से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को सुरक्षित और स्थिर निवेश मानते हैं। लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने इसे “भारत का सबसे बड़ा मनी मिथक” करार दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा पर जरूरत से ज्यादा जोर देना लंबे समय में महंगा पड़ सकता है।
कौशिक का कहना है कि एफडी सुरक्षित लगती है क्योंकि यह तय रिटर्न और कैपिटल के नुकसान से बचाव का आश्वासन देती है। लेकिन जब महंगाई और जीवन-यापन की लागत को ध्यान में रखा जाए, तो इनका असली रिटर्न काफी घट जाता है।
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उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर 2010 में 10 लाख रुपये एफडी में 7 फीसदी ब्याज दर पर निवेश किए गए होते, तो आज यह लगभग 20 लाख रुपये हो जाते। लेकिन इसी अवधि में पेट्रोल, शिक्षा और मकान जैसे जरूरी खर्चे 2 से 5 गुना तक बढ़ गए हैं। नतीजतन, एफडी रिटर्न जीवनशैली महंगाई (lifestyle inflation) के मुकाबले पीछे रह जाते हैं और क्रय शक्ति (purchasing power) घट जाती है।
कौशिक ने एफडी की तुलना अन्य निवेश साधनों से की:
ये आंकड़े बताते हैं कि असली जोखिम पूंजी खोना नहीं, बल्कि समय के साथ पैसों की कीमत खोना है।
कौशिक के अनुसार असली वित्तीय सुरक्षा महंगाई को हराने और क्रय शक्ति को बनाए रखने में है, न कि केवल अल्पकालिक नुकसान से बचने में। उन्होंने सलाह दी:
कौशिक ने कहा, “एफडी कभी लाल (red) नहीं दिखाती, इसलिए आप सुरक्षित महसूस करते हैं। लेकिन परदे के पीछे महंगाई आपके रिटर्न खा जाती है।” उनका निष्कर्ष साफ है — “जरूरत से ज्यादा सुरक्षित रहना, सबसे बड़ा जोखिम हो सकता है।”