RBI MPC MEET 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार (1 अक्टूबर) सुबह 10 बजे मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अक्टूबर बैठक का फैसला जारी करेंगे। इसके बाद दोपहर 12 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी जिसमें केंद्रीय बैंक के नीतिगत फैसलों पर और गहराई से जानकारी दी जायेगी।
आरबीआई की एमपीसी बैठक हर दो महीने में होती है। इसमें ब्याज दरें तय की जाती हैं और मुद्रास्फीति व विकास अनुमान पेश किए जाते हैं। रीपो रेट वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है। रीपो रेट बढ़ने पर बैंकों के ऋण महंगे हो जाते हैं, जिससे होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई बढ़ जाती है। वहीं, दरें घटने पर उधारी सस्ती हो सकती है, लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत पर ब्याज घट सकता है।
बैठक में सदस्य महंगाई, आर्थिक विकास और बाजार की स्थिति पर विचार करेंगे। पिछली अगस्त की बैठक में रीपो रेट 5.5% पर स्थिर रखा गया था। इससे पहले जून में 50 बेसिस पॉइंट और फरवरी–अप्रैल में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई थी। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में कुल 250 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी हुई थी।
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) यथास्थिति बनाए रखेगा। हालांकि कुछ को कटौती की संभावना भी दिख रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड के एक सर्वे में अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने यथास्थिति का अनुमान लगाया है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों (जैसे भारतीय स्टेट बैंक) का अनुमान है कि समिति नीतिगत दर में 25 आधार अंकों (bps) की और कटौती कर सकती है। (एक आधार अंक यानी 0.01 percentage point होता है।)
IDFC FIRST बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता का कहना है कि Q1FY26 में मजबूत विकास को देखते हुए, आरबीआई पहले टैक्स और जीएसटी कट के असर को आंकने के बाद ही आगे कदम उठाएगी। दिसंबर की नीति तक, त्योहारों के बाद उपभोक्ता मांग और अमेरिकी टैरिफ बातचीत के परिणाम स्पष्ट होंगे। अगर व्यापार समझौता होता है और द्विपक्षीय टैरिफ 25% तक घट जाते हैं, तो टर्मिनल दर 5.5% तक रह सकती है, अन्यथा 5% तक।