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सोना-चांदी ने मचाई धूम, गोल्ड 22% और सिल्वर 39% चढ़ी, 30 साल का रिकॉर्ड टूटा

पिछले दो वर्षों में सोने और चांदी की कीमतों की राह ऊपर की रही है। लेकिन चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में इनमें भारी बढ़त देखी गई है

Last Updated- September 30, 2025 | 9:44 PM IST
Gold and Silver

अमेरिका में ऊंची मुद्रास्फीति और धीमी वृद्धि को लेकर पैदा अनिश्चितताओं ने सोने-चांदी में तेजी को हवा दी है। इनके साथ-साथ अमेरिका के बढ़ते कर्ज और ट्रंप प्रशासन के आयात/निर्यात शुल्कों के कारण दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कीमती धातुओं के दामों में लगातार रिकॉर्ड तेजी का केंद्र बन गई है।

पिछले दो वर्षों में सोने और चांदी की कीमतों की राह ऊपर की रही है। लेकिन चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में इनमें भारी बढ़त देखी गई है। वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में अंतरराष्ट्रीय सोने ने 22.1 फीसदी का रिटर्न दिया है जो कम से कम 30 वर्षों के बाद किसी पहली छमाही में दर्ज अब तक का सबसे ज्यादा रिटर्न है। इसी तरह चांदी ने 39.5 फीसदी का रिटर्न दिया है जो पिछले तीन दशकों में दूसरा सबसे अच्छा रिटर्न है। इससे पहले, कोविड महामारी के कारण ऐतिहासिक लॉकडाउन वाले वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में चांदी ने 66.3 फीसदी की बढ़त दर्ज की थी। ये रिटर्न और कीमतें 30 सितंबर शाम 5.40 बजे की कीमतों पर आधारित हैं।

रुपये के लिहाज से वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में सोना 29.5 फीसदी बढ़ा है जो पिछले तीन दशकों में पहली छमाही का सबसे ज्यादा रिटर्न है। चांदी ने 43.1 फीसदी का रिटर्न दिया है जो लॉकडाउन वर्ष (वित्त वर्ष 21) की पहली छमाही की 53 फीसदी बढ़त के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा है।

हालांकि, मंगलवार को सोने और चांदी की कीमतों में मामूली गिरावट के साथ तेजी थमी। सुबह के कारोबार में 3,871 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद सोने की कीमतों में गिरावट आई और यह 3,815 डॉलर के आसपास कारोबार कर रहा था। चांदी भी 47.1 डॉलर प्रति औंस से गिरकर 46.3 डॉलर के आसपास कारोबार कर रही है,जो अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 49 डॉलर प्रति औंस से थोड़ा कम है।

मुंबई के हाजिर बाजार में 995 शुद्धता वाला 24 कैरेट सोना 1,14,887 रुपये प्रति 10 ग्राम (1,16,435 रुपये की शुरुआती कीमत से कम) पर बंद हुआ। चांदी 1,42,434 रुपये प्रति किलोग्राम (सुबह के कारोबार में 1.45 लाख रुपये की कीमत से कम) पर बंद हुई जो अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप है।

कीमती धातुओं खासकर सोने में हालिया तेजी का मुख्य कारण अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप होने की आशंका है। रिकॉर्ड 37.5 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज का वित्तपोषण मुश्किल है और अमेरिका में ट्रंप प्रशासन और कांग्रेस के प्रतिनिधियों के बीच हाल में हुई बैठक में भी बंदी के मुद्दे को सुलझाने को लेकर कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला।

1971 में अमेरिका में बंद की आशंकाओं के चलते निक्सन प्रशासन ने अमेरिकी डॉलर को सोने में बदलने पर रोक लगा दी थी। पिछले कुछ महीनों से अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी, अमेरिका में मुद्रास्फीति की आशंका, अमेरिकी फेड अधिकारियों के खिलाफ सरकार की टिप्पणियों और पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं ने कीमती धातुओं में तेजी को बढ़ावा दिया है। वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक भी सोने के बड़े खरीदार रहे हैं।

आगे की राह

आम्रपाली गुजरात के निदेशक चिराग ठक्कर पिछले कुछ महीनों से चांदी की सिफारिश करते रहे हैं। उन्होंने कहा, चांदी में अब जरूरत से ज्यादा खरीद हुई दिखती है। तेजी की एक और लहर इसे नई ऊंचाई पर ले जाएगी लेकिन उससे पहले इसमें गिरावट की संभावना है।

लेकिन ठक्कर ने कहा कि उद्योग और निवेशकों के बीच चांदी की उच्च मांग है। इस कारण भारत में बाजार 50 सेंट के प्रीमियम पर पहुंच गया है जबकि तत्काल डिलिवरी मिलना मुश्किल है।

वैश्विक स्तर के बारे में एक प्रमुख व्यापारी ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता चांदी के बड़े खरीदार हैं जो बैटरी निर्माण के लिए आवश्यक है और सौर पैनल निर्माताओं और निवेशकों की मांग से इसे समर्थन मिल रहा है।

चांदी की भारी मांग है। लेकिन स्थानीय स्तर पर सोने की मांग फिलहाल कमजोर है। ग्राहक सिक्के खरीद रहे हैं और पुराने जेवरों को नए आभूषणों से बदल रहे हैं। आभूषण विक्रेता दीवाली की मांग को लेकर चिंतित हैं।

कमोडिटी जोखिम सलाहकार फर्म कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के सह-संस्थापक टी ज्ञानशेखर ने कहा, अमेरिका में सरकारी शटडाउन से बचना मुश्किल होने के कारण सोने की कीमत को 4,000 डॉलर से 4,100 डॉलर के बीच प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। वे चांदी को लेकर भी काफी आशावादी हैं, लेकिन चांदी की कीमतें और ऊपर जाने से पहले कई बार 49 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू सकती हैं। चांदी के 60 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने और चांदी से पहले नौ महीनों का रिटर्न 45 साल में सबसे ज्यादा है। कैलेंडर वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों में सोने का रिटर्न 45 फीसदी है जबकि चांदी का रिटर्न 59 फीसदी है।

First Published - September 30, 2025 | 9:41 PM IST

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