राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) अगले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) सहित प्रमुख वित्तीय नियामकों और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के साथ बैठक करेगा।
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक, इस बैठक में ऑडिट 600 के संशोधित अंतरराष्ट्रीय मानक को अपनाने के लिए चर्चा की जाएगी ताकि उन कमियों को दूर किया जा सके जिनकी वजह से कई बड़ी ऑडिट चूक हुई हैं।
सूत्रों ने बताया कि आईएसए 600 अपनाने का मकसद ऑडिटरों पर निगरानी सख्त करना है, जो अक्सर सहायक कंपनियों द्वारा की गई ऑडिट रिपोर्टों का बचाव करते पाए जाते हैं। एक सूत्र ने कहा, ‘ऐसे तंत्रों के माध्यम से सूचीबद्ध कंपनियों से धन निकाले जाते हैं। मुख्य ऑडिटर सहायक कंपनियों की ऑडिट रिपोर्ट पर भरोसा करते हैं, जिससे गड़बड़ियां हो जाती हैं।’
यह मसला एनएफआरए के कई आदेशों में उठा और हाल ही में कॉफी डे एंटरप्राइजेज में भी ऐसा मामला सामने आया है। इस मामले में नियामक ने पाया कि ऑडिटर धोखाधड़ी के जरिए धन के दुरुपयोग की जानकारी देने में विफल रहे, जबकि इसके सबूत भी थे कि सार्वजनिक धन को प्रवर्तकों द्वारा नियंत्रित कंपनी में भेजा गया था और इसका सूचीबद्ध कंपनी के साथ कोई वैध कारोबारी संबंध भी नहीं था।
एनएफआरए ने कहा, ‘ऑडिटर द्वारा प्रबंधन के स्पष्टीकरण पर भरोसा करना तथा प्रबंधन के स्पष्टीकरण को सद्भावनापूर्वक समझने का छल इस प्रकार हुआ कि उन्होंने एक विवेकशील ऑडिटर के लिए अपेक्षित व्यावसायिक संशयवाद को पूरी तरह से नकार दिया।’
इन मानकों को फिलहाल भारत में नहीं अपनाया गया है। सूत्रों ने बताया कि नए मानकों को अधिसूचित करने से पहले इसके लिए आईसीएआई, एनएफआरए और सेबी जैसे वित्तीय नियामकों से सिफारिश की आवश्यकता होती है।