जेके टायर ऐंड इंडस्ट्रीज यूरोप जैसे अपेक्षाकृत अछूते बाजारों में अपनी उपस्थिति का विस्तार करके अगले पांच वर्षों में बिक्री के अपने कुल राजस्व में निर्यात हिस्सेदारी को मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर लगभग 20 प्रतिशत करना चाहती है। कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक रघुपति सिंघानिया ने आज यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय टायरों के निर्यात पर हाल में लगाया गया 50 प्रतिशत टैरिफ ‘आपदा का कारण’ बन रहा है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जेके टायर ने अमेरिका जाने वाले अपने निर्यात का बड़ा हिस्सा मेक्सिको के अपने संयंत्रों के जरिये भेजकर इस प्रभाव को कम किया है। कंपनी ने भारत से शेष निर्यात को भी अन्य वैश्विक बाजारों को भेजकर विविधतापूर्ण बना दिया है।
कंपनी के 11 विनिर्माण संयंत्र हैं – नौ भारत में और दो मेक्सिको में। सिंघानिया ने कहा, ‘इस समय भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ से आपदा है। मैं चाहता हूं कि देर-सवेर कोई व्यापार समझौता हो। इसलिए भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात काफी कम प्रतिस्पर्धी रह गया है। लेकिन कंपनी के रूप में हमने अमेरिका को मेक्सिको के संयंत्रों से ज्यादा टायर भेजने की रणनीति अपनाई है। भारत से हमारा निर्यात यूरोप सहित अन्य बाजारों में स्थानांतरित हो गया है।’
उन्होंने कहा कि कंपनी के निर्यात का एक ‘बड़ा हिस्सा’ जो पहले भारत से अमेरिका जाता था, अब मेक्सिको के उसके संयंत्रों से होने वाली खेपों से तब्दील हो गया है।
सिंघानिया यात्री वाहन श्रेणी के लिए कंपनी के ‘एम्बेडेड स्मार्ट टायर्स’ की शुरुआत’ के अवसर पर बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात कर रहे थे। इन टायरों में बिल्ट-इन सेंसर लगे हैं जो रियल टाइम में एअर प्रेशर, तापमान और संभावित एअर लीकेज की निगरानी करते हैं। इन टायरों को आंतरिक रूप से विकसित किया गया है और इनका विनिर्माण कंपनी के मध्य प्रदेश स्थित बानमोर संयंत्र में किया गया है।
निर्यात विस्तार के बारे में उन्होंने कहा, ‘हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्षों में कुल राजस्व में निर्यात की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत तक पहुंचाना है। हम निर्यात के लिए अलग से कुछ क्षमताएं लगा रहे हैं।’