अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की तरफ से लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ पर चल रहा मुकदमा भारत के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है। भारतीय अधिकारी और व्यापार के जानकार बारीकी से इस केस पर नजर रखे हुए हैं। वजह साफ है कि टैरिफ भारत-अमेरिका के बीच हो रही व्यापार डील को सीधे प्रभावित कर सकता है। अप्रैल में ट्रंप ने देश के बढ़ते व्यापार घाटे को राष्ट्रीय आपातकाल बताकर ज्यादातर देशों पर झमाझम टैरिफ थोप दिए थे। अब कोर्ट यह तय करेगा कि क्या राष्ट्रपति को इतना बड़ा अधिकार है या नहीं।
पिछले हफ्ते हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने ट्रंप के टैरिफ लगाने के अधिकार पर काफी शक जताया। कई जजों ने पूछा कि क्या एक आपातकालीन कानून राष्ट्रपति को आयात शुल्क बढ़ाने-घटाने की ताकत देता है। अमेरिकी संविधान में तो टैरिफ लगाने का हक कांग्रेस को है, लेकिन ट्रंप प्रशासन पहली बार दावा कर रहा है कि आपातकालीन कानून से उन्हें ये पावर मिलती है। जजों की टिप्पणियों से लगता है कि ट्रंप की दलीलें कमजोर पड़ रही हैं। अगर कोर्ट ट्रंप के खिलाफ फैसला देता है, तो ये वैश्विक व्यापार में बड़ा उलटफेर कर सकता है।
भारत और अमेरिका की टीमें व्यापार समझौते पर बातचीत कर रही हैं, लेकिन दोनों तरफ के लोग इस कोर्ट केस को ध्यान में रखकर चल रहे हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि कोई भी कदम अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, “हम देखेंगे क्या होता है। बाकी देश भी यही कर रहे हैं। हमारे पास कुछ तरीके हैं जिनसे हम प्रक्रिया को कवर कर सकते हैं। दोनों पक्ष ये संभावना देख रहे हैं।” मतलब साफ है कि भारतीय टीम कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती। सब कुछ कोर्ट के फैसले पर टिका है।
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व्यापार और उद्योग के जानकारों का मानना है कि कोर्ट ट्रंप के खिलाफ जाए तो भी वो हार नहीं मानेगा। इंडस्ट्री से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, “अंत में अगर फैसला ट्रंप के पक्ष में नहीं गया, तब भी वो किसी न किसी रूप में टैरिफ लगा ही देगा। टैरिफ तो ट्रंप का सबसे पसंदीदा हथियार है। मुझे नहीं लगता कि वो भारत समेत किसी देश को छोड़ेंगे।” यानी कोर्ट की बंदिशों के बावजूद ट्रंप दूसरे कानूनों का सहारा लेकर व्यापारिक साझेदारों को निशाना बना सकता है।
ट्रेड इकोनॉमिस्ट बिस्वजीत धर कहते हैं कि असली सवाल ये है कि क्या भारत ट्रंप प्रशासन को कृषि से आगे देखने के लिए राजी कर सकता है। धर ने सलाह दी, “भारत को मैन्युफैक्चरिंग या सर्विसेज में मजबूत डील ऑफर करके ट्रंप का ध्यान खींचना चाहिए, ताकि वो चीजों को अलग नजरिए से देखे।” उन्होंने कहा कि फिलहाल तो भारत को इंतजार करना चाहिए और कोर्ट के नतीजे का देखना चाहिए। कृषि भारत के लिए लाल लाइन है, यहां कोई समझौता मुश्किल लगता है।
दिल्ली की थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की पिछले हफ्ते आई रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के आपातकालीन पावर को खारिज कर दे और उनके ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ हटा दे, तो ये अमेरिका से बाहर भी बड़ा असर डालेगा। रिपोर्ट कहती है कि इससे EU, जापान, साउथ कोरिया और ब्रिटेन जैसे देशों से हाल में बने व्यापार समझौते उलट सकते हैं, क्योंकि वो सब टैरिफ के दबाव में बने थे। भारत के साथ चल रही बातचीत भी बुरी तरह प्रभावित होगी, जहां अमेरिका टैरिफ को हथियार बनाकर दबाव डाल रहा है।
पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू में ट्रंप ने साफ कहा कि टैरिफ हटाना उनके देश के लिए तबाही होगा। उन्होंने चेताया कि अगर वो व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ नहीं लगा पाते, तो पूरी दुनिया अवसाद में चली जाएगी। ट्रंप का मानना है कि इन टैरिफ की वजह से ही अमेरिका मजबूत हो रहा है।
(एजेंसी के इनपुट के साथ)