बिहार विधान सभा चुनाव के दूसरे चरण में राजनीतिक किस्मत आजमा रहे कुल उम्मीदवारों में 43 प्रतिशत करोड़पति हैं। पहले चरण में 1 करोड़ से अधिक संपत्ति वाले प्रत्याशियों का आंकड़ा लगभग 40 प्रतिशत था। विशेष बात यह है कि अंतिम चरण में 16 उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनके पास 50 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। आंकड़ों के मुताबिक विकासशील इंसान पार्टी के रण कौशल प्रताप सिंह 368 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ सबसे धनी प्रत्याशी हैं। इसके बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नीतीश कुमार का नंबर है जिनके पास 250 करोड़ रुपये की जायदाद है जबकि 170 करोड़ रुपये के साथ तीसरे स्थान पर भाजपा के कुमार प्रणय हैं।
पिछले दो दशक के दौरान राज्य में पांच विधान सभा चुनाव हुए हैं। इनमें करोड़पति उम्मीदवारों का अनुपात लगभग बीस गुना बढ़ गया है। थोक मूल्य सूचकांक-आधारित मुद्रास्फीति दर के आधार पर आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2025 के एक करोड़ रुपये मोटे तौर पर 2005 के 55.4 लाख रुपये के बराबर होते हैं। बिहार में 2005 के चुनाव में 50 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाला कोई उम्मीदवार नहीं था। इस बार ऐसे 16 उम्मीदवार मैदान में हैं। पिछले चुनाव यानी 2020 में ऐसे उम्मीदवार केवल 6 ही थे, जिससे इनमें दोगुने से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्ष 2015 और 2025 के बीच एक दशक में जदयू में करोड़पति प्रत्याशियों की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से बढ़कर 91 प्रतिशत हो गई है जबकि राजद में 65 प्रतिशत से बढ़कर 91 प्रतिशत और लोजपा में 74 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गई।
पिछली बार जीतकर विधायक बने और इस बार फिर चुनाव लड़ने वाले नेताओं में अनंत कुमार सिंह (जदयू), अजीत शर्मा (कांग्रेस) और सिद्धार्थ सौरभ (भाजपा) की संपत्ति में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। ये आंकड़े प्रत्याशियों के हलफनामे के विश्लेषण के आधार पर हैं।