राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने मंगलवार को ऑडिटिंग 600 (एसए) के लिए संशोधित मानदंड जारी कर इस पर लोगों की राय मांगी है। ये संशोधन लेखापरीक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानदंडों (आईएसए 600) के अनुरूप किए गए हैं। भारत में समूह ऑडिट के दौरान ‘गुणवत्ता और उचित परिश्रम’ की गंभीर कमी उजागर हुई थी।
प्राधिकरण ने सूचीबद्ध कंपनियों और जनहित की इकाइयों के लिए संशोधित मानदंड प्रस्तावित किए हैं। ये मानदंड सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा इकाइयों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों व उनकी शाखाओं के लिए नहीं हैं। इन संशोधित मानदंडों के तहत कुल 17,450 सूचीबद्ध होल्डिंग कंपनियां और उनकी सहायक कंपनियां आएंगी। इनमें सूचीबद्ध कंपनियों की गैर सूचीबद्ध इकाइयां भी शामिल होंगी।
प्राधिकरण ने लोगों की राय मांगते हुए कहा है कि भारत में फिलहाल जो साल 2002 का एसए 600 लागू है उससे समूह ढांचे की जटिलताओं को दूर नहीं किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये मानक 2009 में संशोधित किए गए थे।
प्राधिकरण ने बताया, ‘समूह ऑडिट के संशोधित मानदंड प्रस्तावित करने की प्राथमिक वजह जनहित की रक्षा और निवेशकों के संरक्षण में मदद करना है और एक ऐसे मानक ढांचे की आवश्यकता है जो आज की जटिल वित्तीय प्रणालियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत हो।’
संशोधित मानकों के अंतर्गत समूह ऑडिटर घटक ऑडिटर के संचार और उनके कार्य की पर्याप्तता का भी मूल्यांकन करेगा। भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई) ने कुछ बड़ी कंपनियों तक ही ऑडिट केंद्रित रहने पर चिंता जताई थी। इस पर नियामक ने कहा कि देश की कुल सक्रिय कंपनियों में से एनएफआरए के तहत आने वाली कुल इकाइयों और उनकी सहायक कंपनियों की हिस्सेदारी महज 1.8 फीसदी है।
एनएफआरए ने बताया, ‘इन मानकों के संशोधन से 98 फीसदी कंपनियों के ऑडिट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो छोटी और मझोली ऑडिट फर्म के जरिये की जाने वाली बड़ी संख्या में ऑडि़ट पर कोई महत्त्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।’
सूत्रों के मुताबिक आईसीएआई ने आईएसए 600 के अपनाए जाने पर चिंता जताई है। उसके अनुसार आईएसए 600 अपनाए जाने पर लेखा परीक्षण का कार्य कुछ बड़ी ऑडिट कंपनियों तक सीमित हो सकता है। इससे भारत में लेखा परीक्षण का कार्य कर रही छोटी और मझोली कंपनियों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सैद्धांतिक रूप से हालिया मानदंडों को संशोधित करने की जरूरत पर सहमति दे दी है। दूसरी तरफ, भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने साझेदारों से परामर्श करने और संशोधित मानदंडों के लिए चरणबद्ध तरीका अपनाने का सुझाव दिया है।
प्राधिकरण ने इस मामले में अपने आदेशों का उदाहरण देकर बताया कि रिलायंस कैपिटल लिमिटेड, रिलायंस होम फाइनैंस लिमिटेड, रिलायंस कॉमर्शियल फाइनैंस लिमिटेड की कुल कथित धोखाधड़ी 29,000 करोड़ रुपये थी। इसी तरह कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड की कथित धोखाधड़ी 3,500 करोड़ रुपये और दीवान हाउसिंग ऐंड फाइनैंस लिमिटेड की कथित धोखाधड़ी 34,000 करोड़ रुपये की थी।
उन्होंने बताया कि प्रधान लेखापरीक्षक द्वारा अन्य लेखापरीक्षक के कार्य पर यांत्रिक निर्भरता रखी गई, बिना उन विशेष परिस्थितियों का आकलन किए, जिनके लिए अतिरिक्त लेखापरीक्षा प्रक्रियाओं की आवश्यकता थी।