होटलों और उनके परिसर में स्थित रेस्टोरेंट सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कम भुगतान को लेकर भेजे गए कर मांग नोटिस के मसले के समाधान के लिए फेडरेशन ऑफ होटल ऐंड रेस्टोरेंट एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) के शीर्ष अधिकारी इस सप्ताह सरकारी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।
एफएचआरएआई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जायसवाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम पिछली तारीख से जारी मांग नोटिसों के मसले के समाधान के लिए आने वाले सप्ताह में सरकारी अधिकारियों से मिलेंगे। इस तरह के करोड़ों नोटिस जारी किए गए हैं। यह कर चोरी का मामला नहीं है, बल्कि जीएसटी से संबंधित अस्पष्टता है। अधिकारियों को इसका समाधान करने की जरूरत है। हम इस मामले में स्पष्टता चाहते हैं और समाधान पर पहुंचना चाहते हैं।’
शनिवार को आयोजित संगठन की 69वीं वार्षिक आम बैठक में जायसवाल ने 7,500 रुपये से कम कीमत वाले होटल के कमरों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) खत्म किए जाने पर भी चिंता जताई, जिसके लिए जीएसटी दरों को पहले के 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
वस्तु एवं सेवा कर के ढांचे में बदलाव उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने, अनुपालन में सुधार और वृद्धि का समर्थन करने के लिए कर दरों को युक्तिसंगत बनाने का एक निरंतर प्रयास है, लेकिन यह मेहमानों के लिए एक अतिरिक्त लागत बन गया है। जायसवाल ने कहा कि इससे छोटे और मझोले शहरों में होटलों पर संरचनात्मक लागत का बोझ बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि देश के लगभग 90 प्रतिशत होटलों में कमरे का किराया 7,500 रुपये से कम है और अब इन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। उन्होंने कहा कि आईटीसी को वापस लेने से किराये, उपयोगिताओं, आउटसोर्सिंग से लाए गए कर्मचारियों और पूंजीगत व्यय पर वापस न मिलने वाली लागत बढ़ गई है, जिससे निवेश में बाधा आ रही है और घरेलू पर्यटन के विकास को खतरा है। उन्होंने आईटीसी को जल्द से जल्द बहाल करने और अनुपालन संबंधी अस्पष्टताओं को दूर करने के लिए एक स्पष्टीकरण परिपत्र जारी करने का आह्वान किया।