करीब डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद भारत और 4 सदस्य देशों वाले यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (एफ्टा) के बीच व्यापार समझौता 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगा।
इसकी शुरुआत के अवसर पर नई दिल्ली के भारत मंडपम में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस मौके पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, एफ्टा देशों के मंत्री, प्रमुख सरकारी अधिकारी और कई उद्योग प्रतिभागी, सरकारी अधिकारी मौजूद रहेंगे। एक सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इसके पीछे विचार यह है कि उद्योग के हितधारक इस समझौते से अवगत हों और इसका पूरा लाभ उठाने के लिए बेहतर स्थिति में हों।’
एफ्टा ब्लॉक में आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटनस्टाइन शामिल हैं। इस व्यापारिक समझौते को ट्रेड ऐंड इकनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (टीईपीए) नाम दिया गया है। यह यूरोप के एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक के साथ भारत के आर्थिक एकीकरण की दिशा में उल्लेखनीय कदम है। यह किसी यूरोप के देश या ब्लॉक के साथ लागू होने जा रहा भारत का पहला व्यापार
समझौता है। इस समझौते के तहत भारत ने एफ्टा देशों के 80-85 प्रतिशत वस्तुओं पर शुल्क शून्य करने का वादा किया है।
इसके बदले में भारत को 99 प्रतिशत वस्तुओं पर शुल्क-मुक्त बाजार पहुंच मिलेगी। दोनों पक्षों ने किसानों की रक्षा के लिए अधिकांश कृषि और डेरी उत्पादों को शुल्क रियायत से बाहर रखा है। भारत के हिसाब से व्यापार समझौते से सबसे बड़ा लाभ एफ्टा देशों से मिली निवेश प्रतिबद्धता है। समझौता लागू होने के 10 वर्षों के भीतर एफ्टा देशों से भारत में 50 अरब डॉलर का निवेश और अगले 5 वर्षों में अतिरिक्त 50 अरब डॉलर निवेश की उम्मीद है। इससे 15 वर्षों में भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन की आस है।
एफ्टा देशों में आयात शुल्क कम हैं। ऐसे में भारत के लिए बाजार पहुंच का लाभ सीमित हो सकता है। बहरहाल भारत ने ऐसा पहला समझौता किया है, जिसमें बाजार तक पहुंच निवेश से जुड़ा हुआ है। इस हिसाब से यह समझौता अलग किस्म का है।
एफ्टा के 4 देशों में स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025) के दौरान भारत ने 1.97 अरब डॉलर मूल्य का वस्तु निर्यात किया, जिसमें सालाना आधार पर 1.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसमें से तीन-चौथाई वस्तुओं का निर्यात स्विटजरलैंड को हुआ, जिसका मूल्य 1.47 अरब डॉलर था। वहीं वित्त वर्ष 2025 में भारत ने इन देशों से 22.44 अरब डॉलर का आयात किया, जो सालाना आधार पर 1.7 प्रतिशत अधिक है। इसमें से 97 प्रतिशत आयात स्विट्जरलैंड से हुआ, जिसकी कीमत 21.8 अरब डॉलर थी। इस हिसाब से एफ्टा के साथ भारत व्यापार घाटे की स्थिति में रहा है।
दोनों पक्षों ने 10 मार्च, 2024 को व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इन 4 देशों में प्रक्रिया संबंधी औपचारिकताओं के कारण समझौते को लागू करने में देरी हुई है।