राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (National Financial Reporting Authority -NFRA) को अगर किसी कंपनी के वित्तीय ब्योरे में खामी का पता चलता है तो उसे ठीक तरीके से समझने के लिए वह ऑडिटरों से नहीं बल्कि सीधे कंपनियों से ही बात करेगा। NFRA के चेयरमैन अजय भूषण पांडेय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में इस फैसले की जानकारी दी।
प्राधिकरण का काम ऑडिटरों की जांच करना है मगर कुछ मामलों में समस्या को पूरी तरह समझने के लिए NFRA के अधिकारी उन कंपनियों के मुख्य वित्तीय अधिकारी और ऑडिट समितियों से बात करेंगे। अगर इसमें कोई खामी पाई जाती है तो प्राधिकरण मामले को सही नियामक के सुपुर्द कर देगा।
पांडेय ने कहा, ‘NFRA का काम लेखा मानकों को लागू करना है। निरीक्षण के दौरान कंपनियों की ऑडिट समितियों और स्वतंत्र निदेशकों के साथ बातचीत से उनका पक्ष जानने में मदद मिलेगी और केवल ऑडिटरों की बात ही नहीं मान ली जाएगी। आखिरकार वित्तीय ब्योरा कंपनी ही जारी करती हैं।’
पांडेय ने कहा कि कंपनी और ऑडिटर के बीच हुई बातचीत को समझना जरूरी है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को कुछ समय पहले दिए साक्षात्कार में एनएफआरए के चेयरमैन ने बताया था कि कंपनी चलाने के लिए जिम्मेदार लोगों और ऑडिटर के बीच दोतरफा बातचीत कितनी जरूरी है।
उन्होंने कहा था, ‘ऑडिट समिति और स्वतंत्र निदेशकों को ऑडिटर से वाजिब सवाल पूछने चाहिए। ऑडिटरों को भी अपने शुबहे पेशेवर तरीके से जताने चाहिए। ऑडिट समिति के सदस्यों को भी ऑडिटर की बात सीधे मान लेने के बजाय सवाल करने चाहिए। ऑडिटरों और कंपनी चलाने वालों के बीच ऐसी बातचीत से कंपनियों के वित्तीय ब्योरे में शेयरधारकों और हितधारकों का भरोसा बढ़ेगा।’
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 132 के तहत अक्टूबर 2018 में गठित एनएफआरए का काम कंपनियों और उनके ऑडिटरों के लिए लेखा मानक और लेखा नीति तथा पैमाने निर्धारित करना है। मगर इसके दायरे में केवल सूचीबद्ध कंपनियां आती हैं।
22 दिसंबर, 2022 को एनएफआरए ने ऑडिट फर्म बीएसआर ऐंड कंपनी, डेलॉयट हैस्किंस ऐंड सेल्स, एसआरबीसी ऐंड कंपनी तथा प्राइस वाटरहाउस चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का मुआयना कर रिपोर्ट जारी की थी। इसके बाद वॉकर चंडियोक ऐंड कंपनी पर भी रिपोर्ट जारी की गई थी।
NFRA ने अपनी रिपोर्ट में कंपनी अधिनियम की धारा 144 के उल्लंघन का मसला भी उठाया था। यह धारा ऑडिट फर्मों को लेखा जांच के अलावा कुछ और सेवाएं अपने ग्राहक को प्रदान करने से रोकती है। प्राधिकरण इस साल यह पता लगाने के लिए एक बार फिर चारों बड़ी फर्मों की जांच कर सकता है कि उसके बताए बदलाव किए गए हैं या नहीं। साथ ही वह दूसरी ऑडिट फर्मों की भी जांच करेगा।