गर्भवती महिलाओं द्वारा टाइलेनॉल और अन्य संबंधित पैरासिटामॉल उत्पादों के इस्तेमाल को बच्चों में ऑटिज्म से जोड़ने वाली राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टिप्पणी पर उठे विवाद के बीच विशेषज्ञों और उद्योग जगत के अधिकारियों का कहना है कि चूंकि भारत से अमेरिका को इस दवा का निर्यात कम है, इसलिए भारत से वहां जाने वाले दवा निर्यात पर शायद ही कोई असर पड़ेगा।
एंटोड फार्मास्युटिकल्स के मुख्य कार्य अधिकारी निखिल मसुरकर ने कहा कि अमेरिका को किए जाने वाले दवा निर्यात में भारत की पैरासिटामॉल की हिस्सेदारी एक अंक में निचले स्तर पर रहने की संभावना है और अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के हाल में दिए गए चिकित्सकीय संदेश से अमेरिका में पैरासिटामॉल की कुल मांग पर खास चोट पड़ने की आशंका नहीं है। इसलिए भारत के निर्यात पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘अगर कुछ होता है, तो छोटी कंपनियों पर मांग में गिरावट के बजाय खरीद और अनुपालन का दबाव बढ़ सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिका की पैरासिटामॉल आपूर्ति श्रृंखलाएं एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) के लिए गैर-भारतीय स्रोतों पर काफी ज्यादा निर्भर करती हैं। इनमें ऐतिहासिक रूप से चीन का बड़ा हिस्सा शामिल रहा है। इसका अर्थ यह है कि इस अकेली वस्तु में भारत के निर्यात का योगदान मामूली है।’ पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट कैनेडी जूनियर ने गर्भवती महिलाओं द्वारा सामान्य दर्द निवारक दवा टाइलेनॉल (एसिटामिनोफेन) और इसी तरह के उत्पादों के इस्तेमाल को ऑटिज्म के बढ़ते जोखिम से जोड़ते हुए विवादास्पद दावे किए थे और साथ ही चिकित्सकों को सचेत करने वाले नए नियामकीय दिशानिर्देशों का भी ऐलान किया था।
एसिटामिनोफेन और पैरासिटा मोल एक ही एक्टिव दवा होती हैं, केवल नाम के इस्तेमाल में अंतर होता है। एसिटामिनोफेन का उपयोग मुख्य रूप से अमेरिका व जापान में किया जाता है, जबकि पैरासिटामॉल दुनिया के अधिकांश हिस्सों में आम नाम है।