रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स (एचएएल) के साथ 97 एलसीए (हल्के लड़ाकू विमान) एमके-1ए विमानों की खरीद के लिए 62,400 करोड़ रुपये (करों को छोड़कर) का एक अनुबंध किया है। इस अनुबंध के तहत 68 लड़ाकू विमान और 29 दो सीट वाले विमान तथा संबंधित उपकरण खरीदे जाएंगे। इनकी आपूर्ति वित्त वर्ष 2028 में शुरू होगी और छह वर्षों में पूरी हो जाएगी।
इस अधिग्रहण को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने अगस्त 2025 में मंजूरी दी थी। विमान में 64 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी और यह जनवरी 2021 में हस्ताक्षरित 83 एलसीए एमके-1ए विमानों के पिछले अनुबंध के अतिरिक्त है। इसके अलावा, उन्नत, स्वदेशी रूप से विकसित प्रणालियां जैसे उत्तम ऐक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए) रेडार, स्वयं रक्षा कवच और कंट्रोल सरफेस एक्ट्यूएटर्स को भी एकीकृत किया जाएगा, जिससे स्वदेशीकरण नीति को बल मिलेगा।
इस परियोजना को लगभग 105 भारतीय फर्मों के विक्रेता आधार द्वारा समर्थन दिया जाएगा, जो सीधे कलपुर्जों के विनिर्माण में लगे हुए हैं तथा 67 अतिरिक्त प्रमुख कलपुर्जों का स्वदेशीकरण किया जा रहा है।
जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा एफ 404-आईएन 20 इंजनों की आपूर्ति में देरी के कारण एचएएल के 83 एलसीए एमके 1ए विमानों के पिछले ऑर्डर में काफी देरी हुई है। हालांकि अब जीई ने इंजनों की आपूर्ति शुरू कर दी है। जीई ने अब तक तीन इंजनों की आपूर्ति की है और दिसंबर 2025 तक सात और इंजनों की आपूर्ति किए जाने की संभावना है। दो एलसीए एमके 1 ए विमानों का वर्तमान में हथियार परीक्षण चल रहा है। इसके अतिरिक्त, 13 एलसीए एमके 1 ए विमानों ने सीएटी-बी एफ-404 इंजनों का उपयोग करके अपनी पहली परीक्षण उड़ान पूरी कर ली है।
वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के अंत तक एचएएल की ऑर्डर बुक करीब 2.45 ट्रिलियन डॉलर की हो गई, जिसका अर्थ है कि वित्त वर्ष 25 के राजस्व के आधार पर बुक-टू-बिल अनुपात 32 गुना है। जीई द्वारा इंजनों की आपूर्ति में सकारात्मक प्रगति को देखते हुए एलसीए एमके1ए विमानों की डिलिवरी में तेज़ी आनी चाहिए।
भारतीय वायुसेना की योजना कम से कम 42 स्क्वाड्रन (वर्तमान में 31) का बेड़ा रखने की है। मिग-21 लड़ाकू विमानों की सेवानिवृत्ति के साथ भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता घटकर 29 स्क्वाड्रन रह जाएगी। 11 अतिरिक्त स्क्वाड्रनों की आवश्यकता और मिराज 2000, जगुआर और मिग-21 के मौजूदा स्क्वाड्रनों के प्रतिस्थापन से एचएएल को अगले 10-15 वर्षों में तेजस एमके 1 ए , तेजस एमके 2 और एएमसीए सहित 300 से अधिक विमान बनाने का अवसर मिलता है।
एरोस्पेस क्षेत्र में एकाधिकार होने के नाते एचएएल इसका एक प्रमुख लाभार्थी है। तेजस एमके 1 ए के लिए एचएएल की राजस्व बुकिंग अक्टूबर 2026 से शुरू होनी चाहिए और जीई से इंजन की आपूर्ति सामान्य होने के बाद इसमें तेज़ी से सुधार दिखना चाहिए। एचएएल अपनी क्षमता को सालाना 24 विमानों तक बढ़ा रही है।
इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एचएएल को एफ 414 इंजन के लिए 80 फीसदी तकनीक हस्तांतरण (टीओटी) होगा। इस टीओटी की अनुमानित लागत 1 अरब डॉलर है और इसके परिणामस्वरूप नए लड़ाकू विमानों में करीब 75 फीसदी स्वदेशी सामग्री होगी। जैसे-जैसे वॉल्यूम बढ़ेगा, एचएएल के मार्जिन में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए।
कुल मिलाकर ऑर्डर बुक का विस्तार और तेजस की डिलिवरी में प्रगति एचएएल की विकास गति को बेहतर बना रही है। निजी क्षेत्र की लगभग 28 कंपनियों ने 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर (एएमसीए परियोजना) के विकास के लिए एचएएल के साथ सहयोग करने में रुचि व्यक्त की है।
लगभग 60,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी सुखोई-30 एवियोनिक्स अपग्रेड परियोजना अनुमोदन के चरण में है और विमान ऑर्डर वित्त वर्ष 31 तक मिलने की संभावना है। एचएएल के पास भविष्य के रक्षा प्लेटफार्मों के लिए एक स्पष्ट रोडमैप है। वित्त वर्ष 28 तक राजस्व वृद्धि 20 फीसदी हो सकती है, जबकि परिचालन लाभ मार्जिन 28-29 फीसदी के बीच रह सकता है।