मुंबई में ट्रैफिक दबाव कम करने और पूर्व–पश्चिम कनेक्टिविटी को सुगम बनाने के लिए देश का पहला अंडरग्राउंड रोड कॉरिडोर बनाने की शुरुआत हो गई। ऑरेंज गेट से मरीन ड्राइव तक बनने वाले शहरी टनल प्रोजेक्ट में टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का उद्घाटन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया। यह देश की पहली ऐसी शहरी भूमिगत मार्ग परियोजना है, जो घनी आबादी वाले इलाके और रेलवे-मेट्रो संरचनाओं के 50 मीटर नीचे से गुजरता है। इस परियोजना की कुल लागत 8,056 करोड़ रुपये है और इसे 54 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
महत्वाकांक्षी परियोजना से ऑरेंज गेट से शहर में यातायात की भीड़ कम होगी और नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक यात्रा आसान होगी। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि पहले इस जगह पर एक फ्लाईओवर बनाने की योजना थी, लेकिन जगह की कमी और भारी यातायात के कारण यह संभव नहीं हो पाया। यह इलाका मोहम्मद अली रोड फ्लाईओवर से ज्यादा घनी आबादी वाला है, इसलिए सुरंग ही एकमात्र व्यावहारिक और सुरक्षित विकल्प है। यह सुरंग लगभग 700 संपत्तियों, एक सौ साल पुरानी हेरिटेज इमारत और पश्चिमी व मध्य रेलवे लाइनों के नीचे से गुजरेगी। खास बात यह है कि यह सुरंग मेट्रो-3 से 50 मीटर नीचे खोदी जाएगी। यह परियोजना एक तरह से इंजीनियरिंग का चमत्कार होगी।
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फडणवीस ने कहा कि परियोजना को दिसंबर 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है और इसे छह महीने पहले पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस परियोजना का काम एलएंडटी को दिया गया है। अगले साल वर्ली-शिवड़ी सी-लिंक के खुलने के बाद, तटीय सड़क संपर्क के साथ-साथ पश्चिमी उपनगरों के लोगों के पास नवी मुंबई हवाई अड्डे जाने के लिए भी दो विकल्प होंगे। इसलिए, इस परियोजना से लोगों के हजारों घंटे बचेंगे और आज मुंबई के परिवहन के लिए एक ऐतिहासिक दिन है।
इस महत्वाकांक्षी 9.96 किलोमीटर लंबे प्रोजेक्ट का लगभग 7 किलोमीटर हिस्सा भूमिगत होगा। इसके शुरू होने से मुंबई के पूर्व–पश्चिम उपनगर और नवी मुंबई को सीधी भूमिगत कनेक्टिविटी मिलेगी। सफर का समय 15–20 मिनट तक कम होगा, ईंधन की बचत होगी, शोर और वायु प्रदूषण में कमी आएगी। हर टनल में 3.2 मीटर चौड़ाई वाले दो लेन और एक इमरजेंसी लेन का निर्माण किया जाएगा। दोनों टनल में 300 मीटर की दूरी पर क्रॉस-पैसेज होंगे, ताकि आपातकाल में तुरंत निकासी संभव हो सके। वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा 80 किमी प्रति घंटा तय की गई है। टनल के भीतर आधुनिक वेंटिलेशन सिस्टम, फायर सेफ्टी मैकेनिज्म, हाई-क्वालिटी लाइटिंग और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (ITS) लगाया जाएगा, जिससे सफर सुरक्षित और आसान बनेगा।
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कुल लंबाई: लगभग 10 किलोमीटर
अंडरग्राउंड टनल हिस्सा: 7 किलोमीटर
गहराई: 12 से 52 मीटर के बीच
रेलवे-मेट्रो के नीचे: मध्य, पश्चिम रेलवे और मेट्रो लाइन 3
डिजाइन: हर सुरंग में दो लेन, 2.50 मीटर की इमरजेंसी लेन
स्पीड लिमिट: 80 किमी प्रति घंटा
सेफ्टी: हर 300 मीटर पर क्रॉस-पैसेज
कार्य अवधि: 54 महीने (दिसंबर 2028)
कुल लागत: 8,056 करोड़ रुपये