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PM मोदी बोले: RSS की असली ताकत त्याग, सेवा और अनुशासन में निहित, 100 वर्ष की यात्रा प्रेरणादायक

प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने पर त्याग, सेवा और अनुशासन को उसकी असली ताकत बताते हुए संगठन की राष्ट्र सेवा में निरंतर योगदान की सराहना की

Last Updated- September 28, 2025 | 10:51 PM IST
Narendra Modi Delhi BJP HQ inauguration
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी | फाइल फोटो

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने से महज कुछ दिन पहले रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नि:स्वार्थ सेवा की भावना और अनुशासन का पाठ ही संघ की असली ताकत है और इसके स्वयंसेवकों के प्रत्येक कार्य में ‘राष्ट्र प्रथम’ को प्राथमिकता दी जाती है। मोदी ने अपने मासिक ‘मन की बात’ संबोधन में कहा कि केशव बलिराम हेडगेवार ने देश को बौद्धिक गुलामी से मुक्त कराने के लिए 1925 में विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी और तब से इसकी यात्रा जितनी प्रेरणादायक है उतनी ही उल्लेखनीय और अभूतपूर्व भी रही है।

आरएसएस के प्रचारक रहे मोदी ने हेडगेवार के उत्तराधिकारी एम एस गोलवलकर की भी प्रशंसा की और कहा कि उनका यह कथन कि ‘यह मेरा नहीं है, यह राष्ट्र का है’ लोगों को स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा, ‘गुरुजी गोलवलकर के इस कथन ने लाखों स्वयंसेवकों को त्याग और सेवा का मार्ग दिखाया है। त्याग, सेवा और इससे मिलने वाला अनुशासन ही संघ की वास्तविक ताकत है। आज 100 वर्षों से भी अधिक समय से आरएसएस राष्ट्र सेवा में निरंतर जुटा हुआ है।’

हाल ही में कुछ मौकों पर प्रधानमंत्री ने संगठन की उदारतापूर्वक प्रशंसा की है। इससे पहले उन्होंने इस साल स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में संगठन की सराहना की थी, इसके अलावा 11 सितंबर को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के जन्मदिन पर उनके नेतृत्व को सराहा था। अगले सप्ताह विजयादशमी पर आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। संगठन को सत्तारूढ़ भाजपा की वैचारिक संस्था माना जाता है।

छठ को यूनेस्को सूची में शामिल कराने पर जोर

मोदी ने यह कहा कि सरकार छठ पर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कराने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इसी तरह के प्रयासों के कारण, कोलकाता की दुर्गा पूजा भी यूनेस्को सूची का हिस्सा बन गई है। प्रधानमंत्री ने नाविका सागर परिक्रमा के दौरान अदम्य साहस और अडिग संकल्प का उदाहरण पेश करने वालीं नौसेना की महिला अधिकारियों – लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा से भी बात की। उन्होंने उनके प्रयासों की सराहना की और कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रही हैं।

First Published - September 28, 2025 | 10:50 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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