भारत इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5 प्रतिशत और हाइब्रिड कारों पर 48 प्रतिशत टैक्स “लंबे समय तक” जारी रखेगा, ऐसा जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने मंगलवार को कहा। प्रमुख कार निर्माता जैसे मारुति सुजुकी इंडिया और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर लंबे समय से हाइब्रिड कारों पर टैक्स कम करने की मांग कर रहे हैं।
कांत ने बताया, “हमारे पास एक नीति ढांचा है जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स केवल 5 प्रतिशत है जबकि हाइब्रिड पर 48 प्रतिशत है, जिसे हम लंबे समय तक जारी रखने की योजना बना रहे हैं। हमारी नीति है कि हम भारत में बैटरी निर्माण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दें।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का लक्ष्य है कि 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बना जाए। इसके लिए भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियां बँटी हुई हैं। जापानी कंपनियां जैसे मारुति सुजुकी, टोयोटा और होंडा हाइब्रिड कारों पर टैक्स कटौती की मांग कर रही हैं, जबकि टाटा मोटर्स, हुंडई, किया और महिंद्रा एंड महिंद्रा का कहना है कि केवल इलेक्ट्रिक वाहन ही भारत की सड़कों को पूरी तरह से डीकार्बोनाइज कर सकते हैं।
भारत में हाइब्रिड कारों पर जीएसटी दर 28 प्रतिशत है, जबकि इलेक्ट्रिक कारों पर 5 प्रतिशत टैक्स लगता है। हालांकि, विभिन्न सेस और अन्य टैक्सों के कारण हाइब्रिड कारों पर प्रभावी टैक्स दर लगभग 48 प्रतिशत हो जाती है। केंद्र सरकार जापानी कंपनियों के हाइब्रिड कारों पर जीएसटी दर को कम करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
अमिताभ कांत ने यह भी कहा कि भारत में सभी इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग अक्षय ऊर्जा (Renewable energy) से की जाएगी। उन्होंने बताया, “हम तेजी से पूरे देश में चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर फैला रहे हैं। 26 राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति बनाई है। हमने इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5 प्रतिशत जीएसटी और हाइब्रिड वाहनों पर 48 प्रतिशत टैक्स का अंतर रखा है और FAME और PLI योजनाएं भी शुरू की हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत में अक्षय ऊर्जा उत्पादन को कम कीमतों पर बढ़ाने का उद्देश्य है, क्योंकि भारत जलवायु की दृष्टि से इस ऊर्जा उत्पादन के लिए अनुकूल है।
5 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने स्ट्रॉन्ग और प्लग-इन हाइब्रिड कारों पर 8-10 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन टैक्स माफ करने का आदेश जारी किया, जिससे इन कारों की ऑन-रोड कीमतें 4 लाख रुपये तक कम हो गईं।
टाटा मोटर्स, हुंडई, किया और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने इस आदेश का विरोध किया, क्योंकि उनका मानना है कि इससे उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
11 अगस्त को यूपी सरकार के साथ बैठक में इन कंपनियों ने चिंता जताई कि इस समय पर हाइब्रिड कारों को प्रोत्साहन देना इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट को नुकसान पहुंचा सकता है।
वहीं, मारुति सुजुकी, टोयोटा, होंडा और बजाज ने इस आदेश का समर्थन किया, यह कहते हुए कि सभी हरित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, क्योंकि वे तेजी से राज्य में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकते हैं। यूपी सरकार ने इन कंपनियों के तर्क से सहमति जताते हुए 5 जुलाई के आदेश को वापस न लेने का फैसला किया।