केंद्र सरकार ने भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) में डीप सी फिशिंग के लिए नए नियम जारी कर दिए हैं। ये नियम 4 नवंबर को नोटिफाई हुए हैं। इसका मकसद है मछुआरों, उनके कोऑपरेटिव और छोटे स्तर के फिशर्स को ताकत देना। PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, ये नियम बजट 2025-26 के एक बड़े वादे को पूरा करते हैं। इससे भारत के विशाल समुद्री संसाधनों का पूरा फायदा उठाया जा सकेगा। अब विदेशी जहाजों को भारतीय समुद्री क्षेत्रों में घुसने की इजाजत नहीं मिलेगी। इसपर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है।
नए नियमों में हाई वैल्यू वाली टूना मछलियों को पकड़ने पर जोर है। ये मछलियां अभी तक ज्यादातर बेकार पड़ी हैं, जबकि पड़ोसी देश इंडियन ओशन में खूब पकड़ रहे हैं। इसमें मछुआरा कोऑपरेटिव सोसाइटीज और फिश फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस (FFPOs) को प्राथमिकता मिलेगी। ये लोग टेक्नोलॉजी से लैस एडवांस्ड जहाजों से डीप सी फिशिंग कर सकेंगे।
इसमें एक खास बात है मदर-एंड-चाइल्ड वेसल मॉडल। इससे बीच समुद्र में ट्रांसशिपमेंट हो सकेगा। ये पूरी तरह RBI के नियमों के मुताबिक होगा। इससे अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। ये दोनों मिलकर भारत के EEZ का 49 प्रतिशत हिस्सा कवर करते हैं।
मरीन इकोसिस्टम को बचाने के लिए हानिकारक तरीकों पर रोक लगाई गई है। LED लाइट फिशिंग, पेयर ट्रॉलिंग और बुल ट्रॉलिंग अब बैन हैं। केंद्र सरकार अलग-अलग मछली प्रजातियों के लिए मिनिमम लीगल साइज तय करेगी। स्टेट गवर्नमेंट्स और दूसरे स्टेकहोल्डर्स से सलाह लेकर फिशरीज मैनेजमेंट प्लान्स बनाए जाएंगे।
ट्रेडिशनल और छोटे मछुआरे जो मोटराइज्ड या नॉन-मोटराइज्ड बोट यूज करते हैं, उन्हें इन नियमों से छूट मिलेगी। लेकिन मेकेनाइज्ड और बड़े मोटर वाले जहाजों को फ्री ‘एक्सेस पास’ लेना पड़ेगा। ये ReALCRaft ऑनलाइन पोर्टल से मिलेगा।
इस डिजिटल सिस्टम में एप्लाई करना आसान है। कम डॉक्यूमेंट्स लगते हैं और रियल टाइम ट्रैकिंग होती है। फिजिकल विजिट की जरूरत नहीं होती है। अभी 13 कोस्टल स्टेट्स और यूनियन टेरिटरीज के करीब 2 लाख 38 हजार फिशिंग वेसल्स पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 1 लाख 72 हजार छोटी बोट्स को छूट है। बाकी 64 हजार मेकेनाइज्ड वेसल्स को EEZ में जाने के लिए पास चाहिए।
सरकार सस्टेनेबल फिशिंग को बढ़ावा देगी। ट्रेनिंग प्रोग्राम्स, इंटरनेशनल विजिट्स और कैपेसिटी बिल्डिंग पूरे वैल्यू चेन में होंगे। प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन, मार्केटिंग, ब्रांडिंग और एक्सपोर्ट्स तक सपोर्ट मिलेगा। भारत की 11,099 किलोमीटर लंबी कोस्टलाइन और 2.3 मिलियन स्क्वेयर किलोमीटर का EEZ पांच मिलियन से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है।