भारत में दवा बनाने वाली कंपनियों के लिए अच्छी खबर नहीं है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने सभी राज्य दवा नियंत्रकों को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द प्लान बनाएं और दवा बनाने वाली यूनिट्स की जांच शुरू करें। ये जांच रिवाइज्ड शेड्यूल एम नियमों के तहत होंगी, जो देश के गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) गाइडलाइंस हैं।
CDSCO के मुताबिक, ये नियम 2023 में अपडेट किए गए थे ताकि भारत की दवा इंडस्ट्री इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स से मैच कर सके। अब कोई ढील नहीं चलेगी।
7 नवंबर को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) राजीव रघुवंशी ने एक लेटर जारी किया। इसमें सभी राज्य और यूनियन टेरिटरी के दवा नियंत्रकों से कहा गया है कि हर महीने रिपोर्ट भेजें। रिपोर्ट में बताना होगा कि कितनी जांचें कीं, क्या गड़बड़ियां मिलीं और उनके खिलाफ क्या ऐक्शन लिया।
ये निर्देश खास तौर पर उन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए हैं जिन्होंने रिवाइज्ड शेड्यूल एम के लिए एक्सटेंशन मांगा था। इनके लिए नया नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। DCGI ने साफ कहा, “ऐसी यूनिट्स की जांच शुरू करें और चेक करें कि वे नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं।”
रिवाइज्ड शेड्यूल एम को हेल्थ मिनिस्ट्री ने दिसंबर 2023 में नोटिफाई किया था। बड़े प्लेयर्स के लिए ये 1 जनवरी 2025 से ही लागू हो गए। लेकिन माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) वाली कंपनियों को एक साल की मोहलत मिली थी। ये वो कंपनियां हैं जिनका सालाना टर्नओवर 250 करोड़ रुपये या उससे कम है। उनकी डेडलाइन 31 दिसंबर 2025 तक थी।
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फार्मा बॉडीज ने शिकायत की थी कि छोटी यूनिट्स को नए नियम फॉलो करने में दिक्कत आ रही है। इसलिए एक्सटेंशन दिया गया। लेकिन अब समय खत्म।
देश में करीब 10,500 दवा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं। इनमें से 8,500 के आसपास MSME कैटेगरी में आती हैं। सूत्रों की मानें तो कई छोटी यूनिट्स ने न तो एक्सटेंशन के लिए अप्लाई किया और न ही अपग्रेडेशन प्लान जमा किया। बार-बार चेतावनी के बावजूद लापरवाही बरती गई।
ये सख्ती ऐसे समय में आई है जब देश में दवा क्वालिटी को लेकर कई दुखद हादसे हो चुके हैं। मध्य प्रदेश में कम से कम 24 बच्चे एक कफ सिरप पीने से मर गए। इसमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नाम का जहरीला केमिकल मिला था, जो इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट है।
ये सिरप तमिलनाडु की MSME कंपनी श्रेसन फार्मा ने बनाया था। इसी तरह, CDSCO की रूटीन चेकिंग में कई छोटी कंपनियों के सिरप नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी (NSQ) पाए गए।
अब CDSCO चाहता है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। इसलिए जांचें तेज होंगी और जो नियम तोड़ेंगे, उनपर ऐक्शन होगा। राज्य नियंत्रक जल्द ही फील्ड में उतरेंगे।