ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को नया निर्देश जारी किया है, जिसके तहत विदेशियों को अमेरिका में रहने का वीजा स्वास्थ्य कारणों से अस्वीकार किया जा सकता है। इस नए नियम के तहत, डाइबिटीज या मोटापे जैसी मेडिकल स्थितियों वाले आवेदनकर्ताओं का वीजा रोक दिया जा सकता है।
स्टेट डिपार्टमेंट ने इस बारे में एक सर्कुलर सभी अमेरिकी दूतावासों और कांसुलेट्स को भेजा है। इस सर्कुलर के अनुसार, यदि किसी आवेदक के सार्वजनिक सहायता या स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर होने की संभावना है, तो उसे “पब्लिक चार्ज” माना जाएगा और वीजा अस्वीकार किया जा सकता है।
पहले भी वीजा आवेदनकर्ताओं को स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण का रिकॉर्ड देना पड़ता था, लेकिन नया निर्देश अब मेडिकल स्थितियों की सूची को काफी बढ़ा देता है। इसके साथ ही अधिकारियों को यह तय करने की अधिक स्वतंत्रता भी मिल गई है कि कोई आवेदक सार्वजनिक संसाधनों के लिए बोझ बन सकता है या नहीं।
इस कदम से यह स्पष्ट है कि अमेरिका वीजा देने में अब स्वास्थ्य और उम्र को ज्यादा महत्व देगा, खासकर उन लोगों के लिए जो सरकारी सहायता पर निर्भर हो सकते हैं।
विदेश मंत्रालय ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें वीजा आवेदन करते समय आवेदक के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखने की बात कही गई है। दिशा-निर्देश में बताया गया है कि कुछ गंभीर बीमारियां – जैसे हृदय रोग, श्वसन संबंधी बीमारी, कैंसर, डायबिटीज, मेटाबॉलिक रोग, न्यूरोलॉजिकल रोग और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं- महंगे और लंबे इलाज की मांग कर सकती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया की लगभग 10% आबादी डायबिटीज से प्रभावित है, जबकि हृदय रोग अभी भी दुनिया में मौत का सबसे बड़ा कारण हैं।
नए आदेश में मोटापे को भी ध्यान में रखने की सलाह दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि मोटापा अन्य बीमारियों जैसे अस्थमा, स्लीप एपनिया और उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है, जिनका इलाज लंबा और महंगा हो सकता है।
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि इन स्वास्थ्य कारकों को ध्यान में रखना वीजा प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, ताकि भविष्य में भारी स्वास्थ्य खर्चों से बचा जा सके।
अमेरिकी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वीजा आवेदकों की यह जांच करें कि क्या वे मेडिकल इलाज के खर्च को स्वयं उठा सकते हैं, बिना अमेरिकी सरकार पर निर्भर हुए।
सर्कुलर में कहा गया है, “क्या आवेदक के पास इतनी वित्तीय क्षमता है कि वह अपने जीवनकाल के पूरे समय में चिकित्सा खर्च का भुगतान कर सके, बिना किसी सरकारी सहायता या लंबी अवधि के सरकारी संस्थान पर निर्भर हुए?”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कैथोलिक लीगल इमिग्रेशन नेटवर्क के वरिष्ठ वकील चार्ल्स व्हीलर ने कहा कि यह नई गाइडलाइन विभाग की अपनी विदेश मामलों की मैनुअल के विपरीत लगती है। व्हीलर ने कहा, “इस दिशा-निर्देश के तहत वीजा अधिकारी अपने हिसाब से भविष्य में किसी मेडिकल इमरजेंसी या खर्च का अनुमान लगाते हैं। यह चिंताजनक है क्योंकि अधिकारी मेडिकल क्षेत्र में प्रशिक्षित नहीं हैं और उनके पास इस तरह के खर्च का सही अनुभव नहीं है। ऐसे अनुमान व्यक्तिगत राय या पूर्वाग्रह पर आधारित हो सकते हैं।”
नई गाइडलाइन के अनुसार, अब अधिकारियों को यह भी ध्यान रखना होगा कि आवेदक के परिवार और आश्रितों की सेहत कैसी है। इसमें पूछा जाएगा कि क्या किसी आश्रित को कोई विकलांगता, दीर्घकालिक बीमारी या विशेष देखभाल की जरूरत है, जिससे आवेदक अपनी नौकरी जारी नहीं रख सकता।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये नियम अधिकतर स्थायी निवास (Permanent Residence) के लिए आवेदन करने वालों पर असर डालेंगे, न कि अस्थायी वीजा धारकों पर।
सभी आवेदकों को पहले से ही राजदूतावास द्वारा मान्यता प्राप्त डॉक्टर से मेडिकल जांच करानी होती है। इसमें टीबी जैसी संक्रामक बीमारियों की जांच और खसरा, पोलियो, हेपेटाइटिस बी जैसी बीमारियों के टीकाकरण रिकॉर्ड की पुष्टि शामिल होती है। इसके अलावा आवेदकों को अपनी नशे की आदत, मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति या हिंसक व्यवहार का भी खुलासा करना होता है।