उच्चतम न्यायालय ने मॉरिशस की निवेश इकाई टाइगर ग्लोबल इंटरनैशनल होल्डिंग्स के पक्ष में दिए गए उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी है। यह मामला 2018 में फ्लिपकार्ट सिंगापुर की हिस्सेदारी 14,500 करोड़ रुपये में वालमार्ट को बेचने से जुड़ा हुआ है, जिससे भारत में पूंजीगत लाभ कमाया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है, ‘याचिका में उठाए गए मसलों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। इस दौरान उच्च न्यायालय द्वारा पारित विवादित निर्णय एवं आदेश के संचालन, कार्यान्वयन एवं निष्पादन पर रोक रहेगी।’ उच्चतम न्यायालय में इस मामले पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।
अगस्त 2024 में उच्च न्यायालय के फैसले से भारत-मॉरिशस दोहरे कराधान से बचने के समझौते (डीटीएए) के तहत पूंजीगत लाभ कर छूट के लिए टाइगर ग्लोबल की पात्रता की पुष्टि हुई थी। इसके पहले अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग्स (एएआर) ने टाइगर ग्लोबल को संधि का लाभ देने से इनकार कर दिया था। एएआर का तर्क था कि यह लेन देन कर से बचने के लिए किया गया था, ऐसे में भारत मॉरिशस डीटीएए इस तरह के अप्रत्यक्ष लेनदेन पर लागू नहीं होता है।
बहरहाल दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीटीएए के ग्रैंडफादरिंग प्रावधान और टाइगर ग्लोबल की टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट (टीआरसी) का हवाला देते हुए एएआर की रूलिंग को पलट दिया।
उच्च न्यायालय ने डीटीएए के अनुच्छेद 13 (3ए) का हवाला देते हुए कहा कि 1 अप्रैल, 2017 के पहले खरीदे गए शेयरों से हुए लाभ पर भारतीय करों से छूट है। न्यायालय ने केंद्र सरकार बनाम आजादी बचाओ आंदोलन में उच्चतम न्यायालय के फैसले का का हवाला देते हुए जोर दिया कि मॉरिशस द्वारा जारी टीआरसी, रेजिडेंसी के लिए पर्याप्त साक्ष्य है और इससे संधि के लाभों की पात्रता बनती है। इसने तर्क खारिज कर दिया कि टाइगर ग्लोबल की मॉरिशस स्थित संस्थाओं में ‘कमर्शियल सब्सटेंस’ का अभाव है और उसके द्वारा मॉरिशस के कानूनों के अनुपालन पर प्रकाश डाला।
कर और सलाहकार फर्म एकेएम ग्लोबल में टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि शीर्ष न्यायालय के फैसले का असर पूरे भारत पर पड़ेगा और इससे कर के हिसाब से मामले की गंभीरता स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा, ‘कई प्रमुख क्षेत्र हैं, जिन पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।’