अरबपति उद्योगपति ईलॉन मस्क (Elon Musk) की लग्जरी कार कंपनी टेस्ला (Tesla) भारत में एक फैक्ट्री स्थापित करना चाहती है और इसके लिए यह भारत के साथ कई हफ्तों से बातचीत कर रही है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि कंपनी भारत में प्लांट बनाकर यहां से स्थानीय बिक्री और निर्यात के लिए 24,000 डॉलर की कार बनाएगी।
टेस्ला के फाउंडर ईलॉन मस्क कंपनी के विदेश में सबसे बड़े बेस चीन से बढ़कर दूसरे देशों में भी फैक्टरियां खोलना चाहते हैं, लेकिन वहां, विस्तार के लिए रेगुलेटर्स की मंजूरी मिलने में देरी हो रही है। ऐसे में अगर टेस्ला भारत में एक प्लांट लगाती है और सस्ते इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लागत को नियंत्रण में रखती है तो चीनी सप्लायर्स महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
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भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर विशेष फोकस कर रही है। लेकिन, भारत में बैटरी सेल जैसे कंपोनेंट के लिए लोकल सप्लायर नहीं हैं, यहां तक कि भारत की सबसे बड़ी ईवी मैन्युफैक्चरर, टाटा मोटर्स भी इन्हें चीन से आयात करती है। हालांकि, भारत-चीन के तनावपूर्ण संबंधों से टेस्ला की चीनी सप्लायर्स को लाने की योजना में और मुश्किल आने का खतरा है।
ऐसे में माना जा रहा है कि भारत टेस्ला के विदेशी वेंडर्स, विशेष रूप से चीनी वेंडर्स को देश में महत्वपूर्ण कंपोनेंट की मैन्युफैक्चरिंग को मंजूरी देने पर विचार कर सकता है, लेकिन सरकार किसी भी कंपनी-विशिष्ट छूट (specific exemptions) के पक्ष में नहीं है। यह जानकारी द इकनॉमिक टाइम्स (ET) को इस मामले के जानकार लोगों के हवाले से मिली।
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ET की रिपोर्ट में बताया गया कि अगर कोई महत्वपूर्ण पार्ट्स वेंडर भारत आना चाहता है तो सरकार इस पर विचार कर सकती है लेकिन किसी एक कंपनी को कोई टैक्स में प्रोत्साहन (tax incentive ) जैसी छूट नहीं दिया जा सकता है।
गौरतलब है कि भारत ने अपने चीनी वेंडर्स को देश में शिफ्ट करने में मदद करने के लिए Apple को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) मंजूरी में एक विशेष छूट प्रदान की है। ऐसे में मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले तीन सरकारी सूत्रों ने रॉयटर्स से कहा कि टेस्ला को भारत में प्लांट लगाने के लिए Apple जैसी स्ट्रैटेजी अपनानी चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि टेस्ला के साथ शामिल किसी भी चीनी सप्लायर्स के साथ साझेदारी करने के लिए लोकल फर्मों को खोजने में Apple जैसी नीति अपनानी चाहिए।
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने एक समाधान सुझाया है जिसमें टेस्ला Apple की स्ट्रैटेजी पर चल सकती है। हाल के महीनों में अमेरिकी स्मार्टफोन दिग्गज ने लोकल जॉइंट वेंचर पार्टनर मिलने के बाद चीनी सप्लायर्स को भारत में लाने के लिए मंजूरी प्राप्त की है।
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बता दें कि भारत में टेस्ला कार के कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग की चर्चा टेस्ला के सीईओ ईलॉन मस्क की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद शुरू हुई है। टेस्ला अब भारत में प्लांट लगाने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ बातचीत कर रही है। टेस्ला भारत में कार और बैटरी मैन्युफैक्टरिंग फैसिलिटी स्थापित करने की तैयारी कर रही है।
ET की रिपोर्ट के मुताबिक, EV मेकर Tesla भारत में अपनी कारें बेचना चाहती है लेकिन सरकार उसकी कम ड्यूटी की मांग को नहीं मान रही है। बल्कि इसके बजाय सरकार ने टेस्ला को लोकल लेवल पर मैन्युफैक्चरिंग करने का यानी मेक इन इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग का सुझाव दिया है। ET ने बताया कि टेस्ला पूरी तरह से असेंबल की गई इलेक्ट्रिक कारों पर 40% आयात शुल्क (import duty ) चाहता था, जबकि 40,000 डॉलर से कम कीमत वाले वाहनों पर करेंट रेट 60% और उस सीमा से अधिक कीमत वाले वाहनों पर 100% आयात शुल्क है।